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यहां नर्स तय करती हैं मरीजों का भोजन

एसआरएन अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेहत के साथ यह कैसा खिलवाड़ किया जा रहा है यह देखना हो तो मेस में चले जाइए। यहां मरीजों का भोजन नर्स तय करती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 09:57 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 06:23 AM (IST)
यहां नर्स तय करती हैं मरीजों का भोजन
यहां नर्स तय करती हैं मरीजों का भोजन

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : एसआरएन अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेहत के साथ यह कैसा खिलवाड़? किस मरीज को किस तरह का भोजन दिया जाना चाहिए यह काम डाइटिशियन का होता है लेकिन एसआरएन में ऐसा नहीं हो रहा है। यहां मरीजों को क्या भोजन देना है यह नर्स ही तय करती हैं। मरीज डेंगू का हो या टीबी का सभी को दाल, चावल, सब्जी व रोटी ही परोसा जा रहा है।

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काल्विन, डफरिन या बेली अस्पताल की बात करें तो इन अस्पतालों में मरीजों का डाइट चार्ट डाइटिशियन द्वारा बनाया जाता है। इन अस्पतालों में डाइटिशियन भी नियुक्त हैं, लेकिन मंडल के सबसे बड़े अस्पताल एसआरएन (स्वरूपरानी नेहरू) अस्पताल में एक भी डाइटिशियन नियुक्त नहीं है।

एसआरएन में डेंगू, मलेरिया, टीबी, किडनी, पेट, गर्भवती, हड्डी, सर्जिकल समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज भर्ती हैं। इसमें अलग अलग बीमारियों से पीड़ित मरीज को अलग-अलग तरह का भोजन दिया जाना है। डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं, लेकिन सभी मरीजों को सिर्फ एक तरह का ही भोजन दाल, चावल, सब्जी रोटी व दूध दिया जाता है। सभी वार्डो की स्टॉफ नर्स एक सादे पेज पर मरीजों का नाम लिखकर रसोई में भेज देती हैं कि इस मरीज को क्या खाना देना है। यह प्रक्रिया सिर्फ दिखावे के लिए होती है क्योंकि किचन में तो एक तरह का ही खाना सबके लिए बनता है।

दो घंटे पहले से ही लग जाती है लाइन

अस्पताल के आखिरी छोर पर रोग किचन है। दोपहर में मरीजों को खाना दिया जाता है। इससे करीब दो घंटे पहले ही मरीजों की लाइन लगती है। तीमारदार अपना बर्तन रखकर लाइन लगाते हैं ताकि समय से खाना मिल जाए। बोले मरीज

नैनी की रहने वाली आशा देवी की बेटी को डेंगू हुआ है। एसआरएन में भर्ती हैं। रोगी किचन के बाहर यह लाइन में लगी थीं। इन्हें भी वही खाना मिला जो अन्य मरीजों के लिए था। कहती हैं जो खाना मिला है वह लेना ही पड़ेगा। चित्रकूट से आए छेदीलाल की बेटी के आंत का ऑपरेशन हुआ है। छेदीलाल कहते हैं कि घर दूर है इसलिए अस्पताल का ही खाना लेता हूं जो भी मिलता है वही खिलाना मजबूरी है। 'डाइटिशियन के पद की स्वीकृति के लिए पत्र लिखा गया है। इससे कुछ असुविधा हो रही है। डाइटिशियन होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी।'

डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज


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