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मनरेगा में 79 मजदूरों को ही सौ दिन का रोजगार, पलायन करने पर विवश

रोजगार न मिलने से कौशांबी के कई मजदूर पलायन करने पर विवश हैं। 94 हजार मजदूरों ने काम मांगा था लेकिन मिला सिर्फ 79 को ही सौ दिन का काम मिल सका है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 02:49 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 02:49 PM (IST)
मनरेगा में 79 मजदूरों को ही सौ दिन का रोजगार, पलायन करने पर विवश
मनरेगा में 79 मजदूरों को ही सौ दिन का रोजगार, पलायन करने पर विवश

प्रयागराज : मनरेगा के तहत सरकार भले ही मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार देने का दावा कर रही है। योजना के नाम पर हर साल करोड़ों खर्च भी हो रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से योजना जनपद के जॉब कार्डधारकों के लिए मददगार नहीं साबित हो रही है। एक लाख 92 हजार जॉब कार्डधारकों में से अब तक 79 मजदूरों को सौ दिन का काम मिला है। काम न मिल पाने की वजह से अन्य मजदूर पलायन कर रहे हैं।

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 जनपद के एक लाख 92 हजार मजदूर मनरेगा के जॉबकार्ड धारक हैं। शासन की मंशा यह है कि मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने के लिए गांव में ही तालाब की खोदाई व कच्चे रास्ते का निर्माण कराया जाए। इससे गांव के लोगों को सुविधा मिलेगी। साथ ही मजदूरों को रोजगार भी। मनरेगा से हर मजदूर को साल में 100 दिन रोजगार दिया जाए। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश भी जारी किया है। इसके बाद भी जिले में मनरेगा की स्थित ठीक नहीं है।

इस वित्तीय वर्ष में 94 हजार मजदूरों ने काम की मांग की है, जिसमें 25846 परिवारों को ही अब तक काम मिला है। इनमें से महज 79 मजदूरों को 100 दिन का काम मिला है। मनरेगा से काम न मिल पाने की वजह से जनपद के मजदूर प्रयागराज, कानपुर, दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों में काम कर रहे हैं। विकास खंड चायल क्षेत्र के जलालपुर जवांहरगंज के शंभू साहू, लवकुश का कहना है कि वह काम की मांग कर चुके हैं, लेकिन मनरेगा के तहत उन्हें काम नहीं दिया गया। इसी प्रकार गोङ्क्षवदपुर के रामराज व बुधराम को भी मांग के बाद काम नहीं मिला। मजदूरों की मानें तो काम न मिलने की वजह से रोजगार के लिए दूसरे जनपद जाना पड़ता है। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी से शिकायत की गई थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।

पिछले साल 300 मजदूरों को मिला था काम :

मनरेगा से जिले के मजदूरों का भला नहीं हो रहा है। एक वर्ष में 100 दिन काम देने की गारंटी के बाद भी पिछले वर्ष भी महज 300 मजदूरों को ही 100 दिन का काम मिला है। काम न मिल पाने के कारण मजदूरों को काफी परेशानी हो रहा है। 

रोजगार सेवकों को नहीं मिला मानदेय :

कौशांबी के चायल में ग्राम रोजगार सेवकों को तीन महीने से मानदेय नहीं मिला। इसलिए उनकी दीवाली इस बार फीकी रही। उनका कहना है कि अधिकारियों को बार बार शिकायत करने के बावजूद रोजगार सेवकों को उपेक्षित किया जा रहा है। दरअसल परियोजना निदेशक राकेश मिश्रा को मनरेगा उपायुक्त का चार्ज है। बैंक में उनके हस्ताक्षर प्रमाणित नहीं है। इसलिए लेखाधिकारी अनिलराज, एपीओ जयचंद्र मिश्रा और ग्राम रोजगार सेवक विजय प्रजापति, सरोज देवी, संगीता यादव, लालता प्रसाद आदि का मानदेय तीन माह से नहीं मिल सका। मानदेय न मिलने से रोजगार सेवकों के परिवारों पर आर्थिक संकट है।

क्या कहते है पीडी :

मनरेगा के तहत काम की मांग करने वाले हर मजदूर को काम दिया। इस संबंध खंड विकास अधिकारियों व ग्राम पंचायतों को निर्देश दिया गया है। यदि जिम्मेदार मनरेगा में लापरवाही बरत रहे हैं तो इसकी जांच करा कर कार्रवाई के लिए डीएम के लिए पत्र भी भेजा जाएगा।

- राकेश मिश्रा, परियोजना निदेशक डीआरडीए।


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