बेबसी, नहीं मिला वाहन तो रिक्शा-ट्राली पर 60 किमी ले गया पत्नी का शव Prayagraj News
इसे बेबस पति की दास्तां कह लें या स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही जहां शव ले जाने को वाहन भी उसे नहीं दिया गया। मजबूरी में पत्नी का शव उसे 60 किमी रिक्शा ट्राली से ले जाना पड़ा।
प्रयागराज, जेएनएन। स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बयां करने के लिए अपनी रिक्शा ट्राली पर पत्नी का शव रखे कल्लू की यह तस्वीर काफी है। मानवता को शर्मसार करने वाली यह तस्वीर प्रयागराज की है। स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल में भर्ती शंकरगढ़ क्षेत्र के ढरकरान मोहल्ले के रहने वाले सुखराम की बेटी सोना देवी (35) की मौत हो गई। उसका पति कल्लू ढरकार शव वाहन की मांग करता रहा लेकिन शव को घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन नहीं उपलब्ध कराया गया। ऐसे में विवश होकर वह पत्नी का शव अपनी रिक्शा ट्राली पर रखकर 60 किलोमीटर दूर अपनी ससुराल पहुंचा। शुक्रवार को एसडीएम बारा ने उसे सहायता राशि दी तब जाकर इस गरीब की पत्नी की अंतिम क्रिया हो सकी।
एसआरएन अस्पताल में विवाहिता की हुई थी मौत
सोना देवी की शादी मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जनेह थानांतर्गत बैरिया गांव के कल्लू ढरकार के साथ हुई थी। वह पत्नी व तीन बच्चों के साथ शहर के मिंटो पार्क के पास रहकर कबाड़ बीनकर परिवार का खर्च चलाता था। पत्नी के सिर में फोड़ा निकल आने से तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। वह उसे लेकर शनिवार को एसआरएन अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टरों ने भर्ती कर लिया। गुरुवार सुबह सात बजे सोना की मौत हो गई। अस्पताल कर्मियों ने उसे अस्पताल से बाहर कर दिया। कल्लू ने पत्नी का शव अपनी ससुराल शंकरगढ़ ले जाने के लिए डॉक्टर व कर्मचारियों से मिन्नतें भी की लेकिन शव वाहन नहीं मिला।
ससुराल पहुंचा कल्लू तो सिहर उठे परिजन
इसके बाद वह अपनी रिक्शा ट्राली पर ही पत्नी का शव रखा और शंकरगढ़ के लिए रवाना हो गया। करीब दस घंटे रिक्शा ट्राली चलाकर अपनी ससुराल पहुंचा तो ठेले पर शव देख सब सिहर उठे। परिवार की स्थिति ऐसी है कि वह अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए। कल्लू ने कहा था कि शुक्रवार को ग्रामीणों से मदद मांगकर अंतिम संस्कार करेगा। यह स्थिति तब है जब सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा कर रही है।
एसडीएम ने दी सहायता राशि
अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद मामले को संज्ञान में लेकर एसडीएम बारा इंद्रभान तिवारी कल्लू के घर पहुंचे। उसे सरकारी सहायता प्रदान कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसके बाद पत्नी के शव की उसने अंतिम क्रिया की।
पड़ोसी के पास छोड़ा बच्चों को
डेढ़ साल की बच्ची सोनिया अपनी मां के निधन से अनभिज्ञ है। बड़ा बेटा आठ साल का राहुल व छोटा बेटा पांच साल का जंगी है। शव ले जाने के लिए शव वाहन न मिलने पर कल्लू अपने तीनों बच्चों को मिंटो पार्क स्थित अपने पड़ोसी के घर छोड़कर शंकरगढ़ गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके श्रीवास्तव ने शाम को कहा था कि इस तरह की जानकारी मुझे नहीं है। किसी मरीज की मौत अस्पताल में होने पर शव को घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था है। लापरवाही किसके स्तर से हुई है, इसकी जांच की जाएगी।