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काशी विश्‍वनाथ मंदिर विवाद पर हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू, वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश को दी गई है चुनौती

इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर और मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू हो गई है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणासी की तरफ से अपर जिला जज वाराणसी के आदेश की चुनौती में दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 07:02 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:04 PM (IST)
काशी विश्‍वनाथ मंदिर विवाद पर हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू, वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश को दी गई है चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर और मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू हो गई है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर और मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू हो गई है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणासी की तरफ से अपर जिला जज वाराणसी के आदेश की चुनौती में दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं। याचिका में वाराणसी में दाखिल स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर के सिविल वाद को उपासना स्थल (विशेष उपबंध) कानून 1991 की धारा-4 से बाधित मानते हुए निरस्त करने की मांग की गयी है। अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

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काशी विश्‍वनाथ मंदिर की तरफ से कहा गया है कि तहखाने व आस-पास लगातार पूजा-अर्चना हो रही है। इसके मद्देनजर अवैध निर्माण हटाकर मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति दी जाए और याचिका खारिज की जाए।मामले के अनुसार 18 अक्टूबर, 1991 को स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी सिविल वाद दायर किया गया।

इसमें तहखाने के ऊपर निर्माण सहित पुराने मंदिर के हिस्से व नौबत खाने को भगवान विश्वेश्वरनाथ की संपत्ति घोषित करने, हिंदुओं को मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति देने तथा मंदिर भूमि पर मुस्लिम समुदाय के कब्जे को अवैध घोषित करने की मांग की गई है। साथ ही अवैध निर्माण हटाकर वादी को कब्जा सौंपकर सेवा, पूजा, राज भोग में हस्तक्षेप पर स्थायी रोक लगाने की मांग की गई है।

याची ने 1991 के उपासना स्थल कानून के तहत आपत्ति दाखिल करके 15 अगस्त 1947 की स्थिति बरकरार रखने व मुकदमें को खारिज करने की मांग की। कोर्ट ने वाद बिंदुओं तय किया कि क्या न्याय शुल्क पर्याप्त है? और क्या वाद धारा-4 से वर्जित होने के कारण निरस्त करने योग्य है? वादी ने इन वाद बिंदुओं को वापस लेने की अर्जी देकर आपत्ति की। कोर्ट ने धारा-4 में वर्जित मानते हुए मुकदमा खारिज कर दिया। इसके खिलाफ वादी ने अपर जिला जज के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सिविल जज के आदेश को रद कर दिया। इस आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके चुनौती दी गई है।


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