इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकीलों और मुंशियों की आर्थिक सहायता देने के मामले की सुनवाई टली
उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं व अधिवक्ता लिपिकों (मुंशियों) को लॉकडाउन में आर्थिक मदद को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई टल गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं व अधिवक्ता लिपिकों (मुंशियों) को लॉकडाउन में आर्थिक मदद को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई टल गई है। प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने सुनवाई की तारीख 14 मई तय कर दिया।
इससे पहले हाई कोर्ट ने एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट के तहत गठित ट्रस्टी कमेटी, यूपी बार काउंसिल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन व एडवोकेट एसोसिएशन को अधिवक्ताओं की आर्थिक सहायता की योजना बनाने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन व एडवोकेट एसोसिएशन ने जरूरतमंद वकीलों को कुछ आर्थिक सहायता प्रदान किया है, लेकिन बार काउंसिल व ट्रस्टी कमेटी की तरफ से कोई आर्थिक सहायता अभी तक नहीं दी जा सकी।
ट्रस्टी कमेटी के चेयरमैन महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह का कहना है कि कानून के तहत कोरोना महामारी से पीड़ित वकीलों को आर्थिक मदद देने का कोई उपबंध ही नहीं है। न ही उनके पास ऐसा कोई फंड है। इस संबंध में राज्य सरकार से सहायता मांगी गई है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को इस मद में एक करोड़ रुपए देने को तैयार हैं। लेकिन, अभी तक पैसा नहीं दिया गया। वहीं, यूपी बार काउंसिल इस संबंध में अभी तक कोई योजना नहीं बना पाया है। बीते दिनों प्रमुख सचिव न्याय व ट्रस्टी कमेटी के सदस्य सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को स्थित से अवगत कराया था। इस पर कोर्ट ने ट्रस्टी कमेटी को आदेश दिया कि वह उसके पास उपलब्ध धन का ब्योरा कोर्ट में दाखिल करें। इसके बाद याचिका की सुनवाई टलती जा रही है।