Move to Jagran APP

Haridwar Kumbh 2021: हरिद्वार कुंभ के महत्‍व पर प्रयागराज में दंडी संन्‍यासियों ने किया चिंतन, बताया महत्‍व

Haridwar Kumbh 2021 स्वामी महेशाश्रम ने कहा कि समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश को लेकर देवताओं और दैत्यों ने आपसी युद्ध किया। इस दौरान चार स्थलों पर अमृत के अंश गिरे। इन स्थलों नासिक उज्जैन प्रयागराज एवं मायापुरी के नाम से जाना जाने वाले हरिद्वार में कुंभ लगता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 01:14 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 01:14 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: हरिद्वार कुंभ के महत्‍व पर प्रयागराज में दंडी संन्‍यासियों ने किया चिंतन, बताया महत्‍व
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद् के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम बोले कि कुंभ सनातन परंपरा का अद्वितीय त्योहार है।

प्रयागराज, जेएनएन। हरिद्वार के कुंभ मेला के धार्मिक, पौराणिक व वैज्ञानिक महत्व पर प्रयागराज में दंडी संन्यासियों ने चिंतन किया। अरैल स्थित दंडी संन्यासी आश्रम के पीठाधीश्वर व अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद् के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम महाराज भी इस अवसर पर मौजूद थे। उन्‍होंने कुंभ के महत्‍व को बताया।

loksabha election banner

स्वामी महेशाश्रम ने कहा कि अनादि काल में समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश को लेकर देवताओं और दैत्यों ने आपसी युद्ध किया। इस दौरान जो चार स्थलों पर अमृत के अंश गिरने गिरे, वह स्थल नासिक, उज्जैन, प्रयागराज एवं मायापुरी के नाम से जाना जाने वाला हरिद्वार है। यहां अनादि काल से कुंभ लगता आ रहा है।

स्वामी महेशाश्रम ने कुंभ की बताई गूढ़ता

स्वामी महेशाश्रम ने बताया कि सर्वप्रथम ॠषियों एवं देवताओं के द्वारा कुंभ दर्शन एवं स्नान की परम्परा प्रारंभ हुई। उसी परंपरा का सनातनी राजाओं ने निर्वाहन किया। हालांकि बौद्ध काल में सभी राजाओं ने बौद्ध मतावलंबी होकर कुंभ की परंपराओं का त्याग कर दिया। उसी समय आद्य गुरु शंकराचार्य का प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने बौद्ध मतावलंबियों  को परास्त करके सनातन धर्म की स्थापना की। सनातन धर्म के रक्षा के लिए दशनामी संन्यासी परंपरा काे स्थापित किया। उन्‍होंने संन्यासियों को प्रत्येक मठ, मंदिर एवं कुंभ आदि परंपराओं के निर्वहन का आदेश दिया। तभी से शंकराचार्य एवं दंडी संन्यासी और आखाडा नाम से जाने जाने वाले सभी दिगंबर संन्यासी कुंभ की परंपरा का निर्वहन शाही स्नान से करते आ रहे हैं।

बोले, कुंभ संतों व श्रद्धालुओं के मिलने का माध्यम है

उन्होंने कहा कि कुंभ संतों व श्रद्धालुओं के मिलने का माध्यम है, जिसमें सनातन धर्म के समक्ष व्याप्त चुनौतियों पर चर्चा होती है। संतों के सानिध्य में श्रद्धालु अपना कर्म, मन व विचार पवित्र करते हैं। यह जिस राज्य में लगता है वहाँ आर्थिक उन्नति का मार्ग भी खुल जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.