एनसीजेडसीसी में ग्राहकों की कमी से हस्तशिल्प के दुकानदार निराश Prayagraj News
नसीजेडसीसी ने इसकी योजना इसी माह तैयार की थी। योजना के अनुसार शिल्प बाजार साल भर में केवल एक बार लगने की बजाए प्रत्येक माह लगेगा।
प्रयागराज, जेएनएन : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में शुरू हुए शिल्प बाजार में हस्तशिल्प के कपड़े, दैनिक उपयोग और सजावटी सामान लेकर सात राज्यों से आए दुकानदार बोहनी को तरस रहे हैं। कारोबारी इसके पीछे प्रचार प्रसार नहीं करवाए जाने व भीषण गर्मी को भी वजह मान रहे हैं।
शिल्प बाजार की शुरुआत 25 जून को हुई। नौ जुलाई तक बाजार लगा रहेगा। एनसीजेडसीसी ने इसकी योजना इसी माह तैयार की थी। योजना के अनुसार शिल्प बाजार साल भर में केवल एक बार लगने की बजाए प्रत्येक माह लगेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक संस्था के साथ एनसीजेडसीसी ने शिल्प बाजार की शुरुआत की। इसमें कोलकाता, हैदराबाद, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के मशहूर हस्तशिल्प सामान की दुकानें लगाई गई हैं। चार दिन बीतने के बाद भी बाजार बेरौनक है। दुकानदारों का कहना है कि बाजार का प्रचार प्रसार नहीं करवाए जाने से विपरीत असर पड़ रहा है। महीने के आखिरी सप्ताह में बाजार लगवा दिया गया। लोगों की जेब इन दिनों खाली रहती है।
इस बार निराशा हो रही
कोलकाता के सैयद मनीरूल हक का कहना है कि उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में शिल्प मेला का नाम ही काफी है। इसका नाम सुनकर ग्राहक आते हैं। 10 साल से हम भी आ रहे हैं। लाभ कमाकर जाते हैं, लेकिन, इस बार निराशा हो रही है।आजमगढ़ के लियाकत अली प्रधान ने बताया कि 1996 से लगातार सभी शिल्प मेले में आ रहे हैं। मेला अच्छा लगता रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम और खाद्य सामग्री की दुकान भी लगने का फायदा मिलता रहा। लेकिन, इस बार चार दिन हो चुके हैं बोहनी तक नहीं हुई। रामपुर के दानिश का कहना है कि एप्लीक वर्क के सामान लेकर आए हैं। पहले भी शिल्प मेले में सामान लेकर आते थे और 10 दिनों में ही लाभ कमाकर चले जाते थे, इस बार बाजार 15 दिनों का कर दिया गया है। गर्मी काफी पड़ रही है, ग्राहक भी नहीं आ रहे।