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Gyanvapi Masjid Dispute : इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई 20 को

Shri Kashi Vishwanath Mandir-Gyanvapi Masjid Issue सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुई। सुनवाई शुरू होते ही जज को जानकारी दी गई कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है संबंधित क्षेत्र को सील कर दिया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 06:19 PM (IST)
Gyanvapi Masjid Dispute : इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई 20 को
Shri Kashi Vishwanath Mandir-Gyanvapi Masjid Issue :

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद तथा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में जमीन पर विवाद मामले में अब अगली सुनवाई 20 मई को होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद के छह मामलों की सुनवाई चल रही है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के 1991 के ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी दलील रखी। इस दौरान स्वयंभू भगवान विशेश्वर यानी हिंदू पक्ष ने सर्वे के दौरान बड़े आकार के शिवलिंग के मिलने का दावा किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच में की जा रही है। अब इस केस की अगली सुनवाई 20 को होगी।इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की बहस पूरी नहीं हो सकी। अब अगली सुनवाई 20 मई को होगी।

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं।

मंदिर की तरफ से अधिवक्ता रस्तोगी ने अधीनस्थ अदालत द्वारा भेजे गए कमिश्नर की सर्वे कार्यवाही की जानकारी दी। बताया कि विवादित जमीन के मंदिर की होने संबंधी अवशेष मिले हैं।

इससे पहले पिछली तारीख को रस्तोगी ने कहा था कि संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत होने मात्र से उसे पर गैर मुस्लिमो का अधिकार खत्म नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि 1960 के वक्फ एक्ट में 1984 मेंं संशोधन किया गया किंतु वह लागू नहीं हो सका। संशोधन में वक्फ बोर्ड व गैर मुस्लिम के बीच संपत्ति विवाद की दशा में नोटिस जारी किया जाना अनिवार्य है। वादी विपक्षी को कोई नोटिस नहीं दी गई। इस कारण भी वक्फ एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा। रस्तोगी ने कहा कि 1995 का वक्फ एक्ट लागू किया गया तो सभी वक्फ संपत्तियों का दुबारा पंजीकरण करना अनिवार्य किया गया है। किंतु प्रश्नगत विवादित संपत्ति कभी भी दुबारा पंजीकृत नहीं कराई गई है, इसलिए विवादित संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता।

रस्तोगी ने कहा कि पंजाब वक्फ बोर्ड बनाम शैम सिंह केस में कहा गया है कि विवादित जमीन वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। सन 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था। इसमें मौजा शहर खास ,परगना देहात अमानत ,बनारस गाटा 9130 रकबा एक बीघा नौ बिस्वा छः धूर, चबूतरा, पेड़ ,पक्का कुंआ आदि को वक्फ संपत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने की प्रार्थना की गई थी। कोर्ट ने दावा साबित नहीं कर पाने के कारण वाद खारिज कर दियाथा। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में प्रथम अपील 1937मे दाखिल की गई, जो 1942 मेंं निर्णीत हुई। इसमें केवल वादी को ही नमाज पढ़ने की राहत मिली थी, जिसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता। इसलिए याचिका खारिज की जाए। 


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