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Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष को झटका, 'रेगुलेशन के द्वारा सरकार कर सकती है प्रतिदिन पूजा की व्यवस्था'

कोर्ट ने कहा कि 15 अगस्त 1947 के पहले से लेकर वर्ष 1993 तक पूजा की जा रही थी। वैसे भी मां श्रृंगार गौरी हनुमान व गणेश देवता के पूजा के अधिकार से ज्ञानवापी मस्जिद के कैरेक्टर (ढांचा) में कोई बदलाव नहीं होगा।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Fri, 02 Jun 2023 05:42 AM (IST)Updated: Fri, 02 Jun 2023 05:42 AM (IST)
Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष को झटका, 'रेगुलेशन के द्वारा सरकार कर सकती है प्रतिदिन पूजा की व्यवस्था'
Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष को झटका, 'रेगुलेशन के द्वारा सरकार कर सकती है प्रतिदिन पूजा की व्यवस्था'

प्रयागराज, विधि संवाददाता। वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अधिकार मामले में कोर्ट ने कहा जब हिंदू वर्ष 1990 तक रोजाना मां श्रृंगार गौरी, हनुमान व गणेश देवता की पूजा करते थे और बाद के वर्षों में व वर्तमान में साल में एक बार पूजा कि अनुमति दी जा रही है। जब साल में एक बार पूजा से मस्जिद के चरित्र को कोई खतरा नहीं होता। तो रोजाना अथवा साप्ताहिक पूजा की अनुमति देने से मस्जिद के चरित्र में बदलाव कैसे हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि स्थानीय प्रशासन अथवा सरकार द्वारा रेगुलेशन के माध्यम से व्यवस्था की जा सकती है। इसका कानून से संबंध नहीं है।

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प्रकरण में वाराणसी जिला जज के 12 सितंबर 2022 फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की पुनरीक्षण याचिका पर तीन महीने की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह बहुप्रतीक्षित फैसला न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सुनाया। मस्जिद कमेटी की तरफ से एस.एफ.ए. नकवी नें बहस किया। जबिक हिंदू पक्षकारों की तरफ से हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने पक्ष रखा वहीं मुख्य हिंदू पक्षकार राखी सिंह की तरफ से सौरभ तिवारी ने बहस किया।

कोर्ट ने कहा कि 15 अगस्त, 1947 के पहले से लेकर वर्ष 1993 तक पूजा की जा रही थी तो पूजा स्थल अधिनियम 1991 की धारा 3 व 4 इस पर लागू नहीं होता। वैसे भी मां श्रृंगार गौरी, हनुमान व गणेश देवता के पूजा के अधिकार से ज्ञानवापी मस्जिद के कैरेक्टर (ढांचा) में बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने कहा परिसीमा का कानून हिंदू महिलाओं के वाद पर लागू नहीं होता। राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं द्वारा अपने धार्मिक समुदाय के अधिकारों के बजाय व्यक्तिगत पूजा का अधिकार मांगा गया है जो इनका सिविल व संवैधानिक अधिकार है। कब्जा व स्वामित्व का अधिकार नहीं मांगा है।

कोर्ट ने कहा, जब हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा वर्ष 1993 में पूजा रोकने के बाद सालों तक श्रृंगार गौरी कि पूजा हेतु कानूनी कदम नहीं उठाया गया और वर्तमान हिंदू पक्षकारों को वर्ष 2021 में चैत्र वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन पूजा करने से रोक दिया गया। इससे इनके रोज पूजा के अधिकार की मांग समाप्त नहीं होती। इसपर लिमिटेशन कानून लागू नहीं होता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि मस्जिद कमेटी इसे वक्फ संपत्ति बता रही हैं और हिंदू पक्षकारों द्वारा वक्फ संपत्ति को कब्जे में सौंपने या स्वामित्व में लेने की बात अपने सिविल वाद में नहीं की जा रही है केवल श्रृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांगा जा रहा है ऐसे में वक्फ एक्ट, 1995 की धारा 85 लागू नहीं होगी।


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