जिले के 20 में से आठ ब्लाक भूगर्भ जल का संकट झेल रहे Prayagraj News
जिला प्रशासन की ओर से राज्य भूजल संरक्षण अभियान चलाया गया। इस दौरान कुछ तालाबों को कब्जा मुक्त करवाया गया और बड़े पैमाने पर पौधारोपण कराया गया।
प्रयागराज, जेएनएन। शहर से लेकर गांव तक भूगर्भ जल का भारी संकट है। यह संकट दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। पिछले कई साल से पानी बचाने पर काम हो रहा है। फिर भी जिले के 20 में से आठ ब्लाक भूगर्भ जल का संकट झेल रहे हैं। मतलब जिले के करीब आधे हिस्से में भूगर्भ जल का संकट है, लेकिन इस बीच सुखद तस्वीर यह आई है कि आठ साल डार्क जोन में रहे धनुपुर और मऊआइमा ब्लाक में मामूली सुधार हुआ है। हालांकि अभी भी यह संकटग्रस्त स्थिति में है। इनको संकट से उबारने के लिए सरकारी अमले के साथ ही जनता को भी आगे आना होगा। हमें बारिश का पानी बचाना होगा और उसकी बर्बादी रोकनी होगी।
कुछ ब्लॉक डार्क जोन से बाहर निकले लेकिन संकट अभी भी
भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में चाका, बहादुरपुर, धनुपुर, होलागढ़ और मऊआइमा सहित पांच ब्लाक डार्क जोन में थे। इन सभी इलाकों के लोगों को पीने का पानी मुश्किल से मिल रहा था। कुएं सूख गए और हैंडपंप की गहरी बोरिंग करानी पड़ी। विभाग की इस रिपोर्ट के बाद सरकारी अमला सक्रिय हुआ तो कुछ काम हुआ। जिला प्रशासन की ओर से राज्य भूजल संरक्षण अभियान चलाया गया। इस दौरान कुछ तालाबों को कब्जा मुक्त करवाया गया और बड़े पैमाने पर पौधारोपण कराया गया।
ड्रिप सिंचाई पर जोर दिया गया
वहीं पानी के अंधाधुंध दोहन पर लगाम लगाने के लिए ड्रिप सिंचाई पर जोर दिया गया। इन इलाकों में किसानों को छूट पर ड्रिप सिंचाई के यंत्र दिए गए। वहीं मेड़बंदी और चेकडैम का भी काम हुआ। इसका कुछ असर हुआ तो 2013 में बहादुरपुर इस कटेगरी से बाहर हुआ लेकिन अभी वह क्रिटिकल स्थिति में है। इस बीच बहरिया ब्लाक में पानी का ज्यादा दोहन हुआ और वह 2013 में डार्क जोन में चला गया। राज्य भूजल संरक्षण अभियान में और तेजी आई तो 2019 की रिपोर्ट में धनुपुर, मऊआइमा आठ साल बाद डार्क जोन से बाहर आ गए। वहीं बहरिया ाी डार्क जोन से बाहर हो गया है। यह ब्लाक भले ही डार्क जोन से बाहर हैं लेकिन अभी यह क्रिटिकल और सेमीक्रिटिकल की कटेगरी में है। इसके अलावा शहर के नजदीक का चाका ब्लाक अभी डार्क जोन में है।
तालाब को पाटा, रिचार्ज नहीं हो रहा बारिश का पानी
गांव-गांव तालाब हुआ करते थे। लेकिन लोगों ने जमीन के लालच में तालाबों पर कब्जा कर लिया है। किसी गांव में तालाब पर घर बना लिया गया तो कहीं उसे बराबर करके खेती की जाने लगी। भूगर्भ में जो पानी है वह इसी तालाबों के जरिए रिचार्ज होता था। अब तालाब नहीं तो वह पानी खत्म होने लगा है। इसलिए अब जरूरत है कि सभी तालाब खाली कराए जाएं और उसमें बारिश का पानी रोका जाए।
जल बचाने के लिए सभी को करनी होगी पहल
भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियंता रवि कांत सिंह ने बताया कि आने वाले समय में पानी का संकट न हो इसलिए सभी को इसको बचाने के लिए पहल करनी होगी। पिछले कई सालों से भूगर्भ जलस्तर लगातार गिर रहा है। यह संकेत ठीक नहीं है। भूगर्भ जल तभी बचेगा जब, बारिश का पानी खेतों, तालाबों, नहरों और छोटी नदियों में रोकेंगे। इसके लिए प्रशासन स्तर पर काम हो रहा है, लेकिन जनता को भी साथ आना होगा।
2011 में भूगर्भ जल स्तर
डार्क जोन - चाका, बहादुरपुर, धनुपुर, होलागढ़, मऊआइमा
क्रिटिकल - बहरिया, प्रतापपुर
सेमीक्रिटिकल- उरुवा।
2013 में भूगर्भ जल का स्तर
डार्क जोन - चाका, धनुपुर, मऊआइमा, बहरिया
क्रिटिकल - बहादुरपुर, होलागढ़ और प्रतापपुर।
2019 में भूगर्भ जल का स्तर
डार्क जोन - चाका, प्रयागराज शहर
क्रिटिकल - बहादुरपुर, बहरिया, धनुपुर, प्रतापपुर
सेमीक्रिटिकल - होलागढ़, मऊआइमा, सैदाबाद।
कहां कितना है जलस्तर (मीटर में)
गांव 2009 2018 में
बहादुरपुर 15.96 18.65
झूंसी 11.15 13.35
कोटारी 13.84 18.35
बहरिया 07.58 12.65
कुसुमगढ़ 15.70 12.90
चाका 08.40 12.90
तिवारीपुर 08.45 12.25
धनुपुर 11.05 13.05
हंडिया 11.15 13.25
होलागढ़ 03.80 06.34
जारी 05.07 08.22
करछना 15.10 16.60
कौंधियारा 05.06 05.80
कौडि़हार 06.02 06.90
मांडा 05.45 13.65
मेजा 06.85 08.65
फूलपुर 05.90 08.00
प्रतापपुर 07.80 09.50
सोरांव 12.50 14.67
शंकरगढ़ 05.95 10.65
उरुवा 19.46 19.76