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ई कामर्स कंपनियों के नाजायज इस्तेमाल पर सरकार ले सख्त फैसले, बोले कैट के प्रदेश अध्यक्ष

व्यापार संगठन कैट के पदाधिकारियों का कहना है कि ई कामर्स कंपनियों का इस्तेमाल देश के खिलाफ और अशांति फैलाने में हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को सख्त फैसले लेने की जरूरत है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 05:34 PM (IST)
ई कामर्स कंपनियों के नाजायज इस्तेमाल पर सरकार ले सख्त फैसले, बोले कैट के प्रदेश अध्यक्ष
कैट के पदाधिकारियों का कहना है कि ई कामर्स का इस्तेमाल देश के खिलाफ और अशांति फैलाने में हो रहा

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। हाल ही में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के ई-कामर्स पोर्टल के जरिए गांजा की बिक्री कंपनी का कोई नया और पहला अपराध नहीं है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इससे पहले 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल बम को तैयार करने के लिए भी रसायन इसी कंपनी के ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से खरीदे गए थे। एनआइए ने पुलवामा मामले की जांच के दौरान मार्च 2020 में अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य का राजफाश किया। यह खबर मार्च 2020 में मीडिया में व्यापक रूप से सामने आइ थी। अन्य सामग्री के अलावा अमोनियम नाइट्रेट जो देश में प्रतिबंधित है को भी उसी कंपनी के ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से खरीदा गया था। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। ऐसे में व्यापार संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि ई कामर्स का इस्तेमाल देश के खिलाफ और अशांति फैलाने में हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को सख्त फैसले लेने की जरूरत है।

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कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ होना चाहिए मुकदमा

कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने कहा कि सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध अनेक रिपोर्टों के अनुसार, एनआइए द्वारा प्रारंभिक पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किये गए एक व्यक्ति ने राजफाश किया कि उसने बम बनाने के लिए जरूरी आइइडी, बैटरी और अन्य सामान बनाने के लिए रसायनों की खरीद उसी कंपनी के ई कामर्स पोर्टल के माध्यम खरीदे थे। फोरेंसिक जांच के माध्यम से यह साबित हुआ कि हमले में इस्तेमाल विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट और नाइट्रो-ग्लिसरीन आदि थे। इस पर विभु अग्रवाल एवं दिनेश केसरवानी का कहना है कि यह विस्फोटक सामान कंपनी के जरिये खरीदा गया था जो देश के जवानों के खिलाफ उपयोग किया गया, इसलिए उस कंपनी एवं उसके जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज़ किया जाना चाहिए।

मनमानी कर रही हैं ई कामर्स कंपनियां

नीति निर्माताओं और अधिकारियों के ई कामर्स के प्रति अपनाए गए गैर जिम्मेदराना व्यवहार के कारण ही ई कामर्स पोर्टल चलाने वाली कंपनियां खुलकर अपनी मनमानी कर रही हैं और कोई उनको रोकने वाला नहीं है। यह और भी आश्चर्यजनक है कि राष्ट्र रक्षा से जुड़े इस बेहद संगीन मामले को दबा दिया गया और इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई और प्रतिबंधित वस्तु बेचे जाने को लेकर कंपनी को छोड़ दिया गया। मनोज अग्रवाल एवं राज मोहन पुरवार ने कहा कि 2011 में अमोनियम नाइट्रेट को प्रतिबंधित वस्तु घोषित किया गया था, जिसके लिए विस्फोटक अधिनियम, 1884 के तहत अमोनियम नाइट्रेट के खतरनाक ग्रेड को सूचीबद्ध करने और भारत में इसकी खुली बिक्री, खरीद एवं निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अधिसूचना जारी की गई थी। अमोनियम नाइट्रेट को उन बमों में मुख्य विस्फोटक पाया गया, जिनका इस्तेमाल व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में विस्फोटों को करने के लिए किया जाता था। मुंबई से पहले अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल 2006 में वाराणसी और मालेगांव एवं 2008 में दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में हुआ था।


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