परंपरागत खेती छोड़ें किसान : डॉ. अरुण
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : किसानों की आय 2022 में दोगुनी करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : किसानों की आय 2022 में दोगुनी करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। किसानों से संबंधित सभी सेक्टरों में सामंजस्य बनाकर कृषि उत्पादन में गुणवत्ता के साथ बेहतर मूल्य देने का प्रयास हो रहा है। जरूरत है किसान परंपरागत खेती छोड़कर कुछ नया प्रयोग करें। प्रसार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि विभाग भारत सरकार के निदेशक डॉ. अरुण कुमार ने यह बातें कहीं। वह बुधवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) योजना अंतर्गत सर्किट हाउस में आयोजित एक दिवसीय खरीफ गोष्ठी व किसान प्रदर्शनी को बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान सीजनल खेती करने के साथ पौधरोपण पर ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि पशुपालन, मधुमक्खी व मुर्गी पालन पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐसा करके आय में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे। उपकृषि निदेशक विनोद कुमार ने कहा कि किसानों के लिए बीज, कृषि, रक्षा रसायन तथा कृषि यंत्रों पर भारी छूट दी जा रही है। जरूरत है कि किसान उसका लाभ लेकर अपनी खेती बेहतर तरीके से करें। कृषि विज्ञान केंद्र नैनी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अजय चौहान ने खरीफ की फसलों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने ड्रम सीडर द्वारा धान की बुवाई करना आज लाभकारी है। इससे श्रम की लागत कम आने के साथ ही आय में वृद्धि होती है। जो किसानों के लिए काफी लाभकारी है। इस दौरान प्रो. एए ब्राडवे, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. डीएस चौहान, डॉ. मुकेश पीएम ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम स्थल पर सोलर पंप की खासियत, पोषक तत्वों के कार्य, जीरो टिलेज मशीन से बुआई, सुरक्षित अन्न भंडारण, एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की खासियत बताने के लिए स्टॉल लगाए गए, जिसमें किसानों को काफी जानकारियां प्राप्त हुई।
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आठ महीने लिया जाए बिल
कृषि गोष्ठी में किसानों ने अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याएं गिनाई। शंकरगढ़ के प्रगतिशील किसान कुलदीप पाठक ने कहा कि यमुनापार में मार्च माह से नहर में पानी नहीं आ रहा है। नेशनल थर्मल पावर बारा में सेक्शन छोटा होने से पानी नहीं दे पा रहा है। पशुओं को आवारा छोड़ने से फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। इसके मद्देनजर पशुओं को आवारा छोड़ने पर प्रतिबंध लगे। सूखा की समस्या को देखते हुए किसानों से साल में 12 के बजाय सिर्फ आठ महीने बिजली का बिल लिया जाए। इससे उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी।
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हटाया जाए अपात्रों का नाम
कृषि गोष्ठी में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उचित लाभ न मिलने का मामला भी उठा। किसान रामबहादुर, भोला सिंह, अनिल मिश्र, रामकृष्ण, शोभनाथ शुक्ल ने बताया कि धान का बीमा कराया गया था लेकिन उसका पैसा अभी तक नहीं मिला। सर्वे कराकर कृषि विभाग फसल बीमा का क्लेम दिलाए। कौंधियारा के किसान त्रिभुवन शुक्ल ने बताया कि फसल बीमा कंपनी से जो सूची मिली है उसमें अपात्र का नाम शामिल हैं, जिसे ठीक कराकर पात्र लोगों को पैसा दिलाया जाए।