Labor Department के पेंसिल पोर्टल पर गरीब बच्चों की दें जानकारी, उनके बिगड़ते भविष्य को सुधारें
चाइल्ड लाइन प्रयागराज के निदेशक जीपी श्रीवास्तव का कहना है कि ध्यान रखें बाल श्रम की सूचना या शिकायत देने वाले व्यक्ति को किसी भी कानूनी दांव-पेच में नहीं उलझाया जाता है। सूचना देने वाले की सभी जानकारी गोपनीय रखी जाती है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल में दिहाड़ी मजदूर व कमजोर वर्ग के परिवार मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। इसका सीधा असर उनके बच्चों पर भी पड़ सकता है। ऐसे बच्चे, परिवार की मर्जी या नादानी में घर से पलायन भी कर सकते हैं। आपकी थोड़ी सी सतर्कता ऐसे बच्चों के बिगड़ते भविष्य को सुधार सकती है। ऐसे बच्चों की जानकारी श्रम विभाग के ‘पेंसिल’ पोर्टल पर या चाइल्ड लाइन के टोल फ्री हेल्पलाइन 1098 पर दी जा सकती है। इससे इन बच्चों का भविष्य में उजाला आ सकता है।
सुरक्षा व संरक्षण पहली प्राथमिकता : चाइल्ड लाइन निदेशक
चाइल्ड लाइन प्रयागराज के निदेशक जीपी श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण प्राथमिकता है। कोरोना काल में बच्चों को शहर की चकाचौंध बाल श्रम की ओर आसानी से आकर्षित कर सकती है। कानूनन 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी रूप में काम पर नहीं रखा जा सकता है। इसलिए अपने आस-पास हो रहे बाल श्रम की शिकायत कर बच्चों को मुक्त कराएं। कहते हैं की बच्चों का बचपन बचाने में समाज की अहम ज़िम्मेदारी है।
सूचना देने वालों की जानकारी गोपनीय रहती है
उन्होंने सलाह दी कि जब भी असामान्य स्थिति में कोई बच्चा मंदिर व मस्जिद के बाहर, रेलवे स्टेशन व बस डिपो के आस-पास या कहीं भी घूमता, टहलता या बाल मजदूरी करता दिखे तो उससे थोड़ा घुले-मिलें व उससे बात करें। बाल श्रम की पुष्टि होने के बाद या आशंका की स्थिति में 1098 पर फोन करें। जब भी कोई बच्चा काम मांगने आए तो होटल, ढाबा व कारख़ाना मालिक इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को दें। ध्यान रखें बाल श्रम की सूचना या शिकायत देने वाले व्यक्ति को किसी भी कानूनी दांव-पेच में नहीं उलझाया जाता है। सूचना देने वाले की सभी जानकारी गोपनीय रखी जाती है।
इस तरह होती है बच्चों की मदद
निदेशक ने बताया कि चाइल्ड-लाइन ऐसे बच्चों की जानकारी मिलते ही इसकी सूचना बाल कल्याण समिति, जिला प्रोबेशन अधिकारी व श्रम विभाग को देता है। चाइल्ड लाइन के सदस्य उस बच्चे का रेस्क्यू करते हैं। बल श्रम के पेंसिल पोर्टल पर बच्चे की जानकारी अपलोड करने के साथ इन्हें बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश करते हैं । सीडब्ल्यूसी ऐसे बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा व स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए जरूरत पड़ने पर उनके लिए पुनर्वास केंद्र की भी व्यवस्था करता है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को भावनात्मक सहायता हेतु काउंसलिंग के माध्यम से सहायता दी जा रही है। माता-पिता दोनों या किसी एक को खो चुके बच्चों का भौतिक सत्यापन चाइल्ड लाइन द्वारा किया जा रहा है।
क्या कहता है कानून
बाल और किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं नियोजन) अधिनियम 1986 में वर्ष 2016 में आवश्यक संशोधन किये गए हैं। इसके अंतर्गत 14 वर्ष से अधिक एवं 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिका से जोखिमपूर्ण कार्य करवाना संज्ञेय अपराध माना गया है।
बच्चों से ये कार्य करवाने पर कठोर दंड के प्रावधान हैं
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 79 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिकाओं का शोषण करना, जिसमें कार्य (श्रम) करवाना, आर्थिक लाभ के लिए लोक स्थानों पर मनोंरंजन करवाना, बंधुआ रखना, उसके उपार्जनों को निर्धारित करना तथा उसके उपार्जन को स्वयं के लिए उपयोग करना अपराध माना गया है। ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को पांच वर्ष तक के कठोर कारावास की सजा एवं एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है।