क्रिसमस से पूर्व मिला उपहार, तीन मसीही बने डीकन, चर्च आफ नार्थ इंडिया ने दी उपाधि
बिशप पीटर बलदेव ने कहा कि हर दीन-दुखी का दर्द दूर करना हमारा कर्तव्य है। नए धर्मगुरुओं को उसी मिशन को आगे बढ़ाना है। तीनों धर्मगुरुओं ने मानवता की सेवा करने व चर्च आफ नार्थ इंडिया के नियम-निर्देशों का पालन करने की शपथ ली है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मसीही समुदाय के लोग अपने आराध्य प्रभु यीशु (ईशा मसीह) के जन्मोत्सव क्रिसमस को लेकर उत्साहित हैं। घरों व चर्चों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। मान्यता है कि क्रिसमस पर प्रभु यीशु किसी न किसी रूप में अपने भक्तों को उपहार देते हैं। तीन मसीहियों को क्रिसमस से पहले बड़ा उपहार मिल गया है। चर्च आफ नार्थ इंडिया ने उन्हें डीकन की उपाधि प्रदान किया है। इससे डायोसिस आफ लखनऊ को तीन नए धर्मगुरु मिल गए हैं।
प्रयागराज में डीकन आडिनेशन में इन तीन विभूतियों काे मिली उपाधि
प्रयागराज के पत्थर गिरजाघर में डीकन आडिनेशन का आयोजन हुआ। बिशप डा. पीटर बलदेव ने वैसलियनमैथा चर्च लखनऊ के मुकेश मसी, सेंट पीटर चर्च प्रयागराज के प्रमोद दास व क्राइस चर्च ललितपुर के एरिक सुभान का अभिषेक किया। उन्हें कमरबंद (गार्डिल) व लाल रंग पट्टा (स्टोल) पहनाकर डीकन (अर्ध पादरी) की उपाधि प्रदान किया है। इन्होंने चार साल तक चर्च में रहकर धार्मिक कार्यों में लीन रहकर प्रभु यीशु के विचारों को आत्मसात किया है। बेहतर काम करने पर उन्हें अर्ध पादरी की उपाधि प्रदान की गई है।
सिर्फ प्रभु यीशु से रखा नाता : डीकन प्रमोद दास
डीकन बनने वाले 33 वर्षीय प्रमोद दास ने सेंट पीटर चर्च म्योराबाद में प्रशिक्षण लिया है। मूलत: प्रयागराज निवासी प्रमोद ने चार साल की ट्रेनिंग पूरी की है। फादर प्रवीण मैसी के साथ यीशु की भक्ति में रमे रहे। हर कार्य समर्पण व ईमानदारी से किया, जो सीएनआइ को पसंद आया। वहीं, 58 वर्षीय एरिक सुभान क्राइस चर्च से जुड़े हैं। पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों को शिक्षा व चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराने में इनका अहम योगदान है। चर्च में रहकर यीशु की भक्ति में रमे रहे। इनकी पहचान विद्वता व सादगी है। वैसलियनमैथा चर्च लखनऊ से जुड़े 36 वर्षीय मुकेश मसीह ने प्रयागराज में स्कूली शिक्षा पूरी किया है। मन में यीशु के प्रति भक्ति का भाव आने पर चर्च से जुड़ गए। नियम-निर्देशों का पालन ईमानदारी से किया। बेहतर काम के कारण उन्हें धर्मगुरु बनाने का निर्णय हुआ है।
वर्ष के अंदर बनेंगे पादरी
डीकन बनने वाले तीनों विभूतियों के लिए छह महीने से एक साल के बीच में प्रीस्ट आडिनेशन का आयोजन किया जाएगा। उसमें उन्हें पूर्ण पादरी की उपाधि प्रदान की जाएगी।
हर दीन-दुखी का दर्द दूर करना हमारा कर्तव्य : बिशप पीटर बलदेव
बिशप पीटर बलदेव ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह ने मानवता की सेवा करने की सीख दी है। हर दीन-दुखी का दर्द दूर करना हमारा कर्तव्य है। नए धर्मगुरुओं को उसी मिशन को आगे बढ़ाना है। तीनों धर्मगुरुओं ने मानवता की सेवा करने व चर्च आफ नार्थ इंडिया के नियम-निर्देशों का पालन करने की शपथ ली है। इनका आगे का जीवन उसी के अनुरूप व्यतीत होगा।