नदी उफनाने से टापू बना प्रतापगढ़ का गंगापुर गांव, कई लोग फंसे, बीमार बच्ची की बिगड़ी हालत
गंगापुर गांव के आधा दर्जन घरों को बीच में कर दोनों तरफ से चमरौरा नदी बहती है। भीषण बारिश से चमरौधा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। इससे नदी का जल स्तर बढ गय़ा और आधा दर्जन घरों के लोग बाढ़ के बीच में फंस गए हैं।
प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। लगातार बरसात की वजह से चमरौधा नदी उफनाने से मंगरौरा ब्लाक का गंगापुर गांव टापू की तरह हो गया है। इसके चौतरफा पानी भरा है जिससे सैकड़ों लोग फंस गए हैं। नाव की व्यवस्था नहीं होने से वह गांव से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सबसे ज्यादा समस्या बीमार लोगों और बच्चों के सामने है जिन्हें इलाज की खातिर ले जाना नहीं हो पा रहा है। चार दिनों से बाढ़ में फंसे लोगों ने प्रशासन की लापरवाही की शिकायत फोन के जरिए सीएम के हेल्प लाइन नंबर पर की है।
दो मुंहवा नदी बन गई है मुसीबत
विकास खंड मंगरौरा के चिगुड़ा घाट के थोड़ा आगे चमरौधा नदी दो मुंह के आकार में हो जाती है। इसी वजह से इसका नाम यहां के लोगों ने दो मुहंवा नदी घाट रखा है। मलाक ग्राम पंचायत के गंगापुर गांव के आधा दर्जन घरों को बीच में कर दोनों तरफ से चमरौरा नदी बहती है। भीषण बारिश से चमरौधा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। इससे नदी का जल स्तर बढ गय़ा और आधा दर्जन घरों के लोग बाढ़ के बीच में फंस गए हैं। हालांकि अभी तक इन घरों में पानी नहीं पहुंचा है। बाढ़ के बीच फंसी जय प्रकाश की छह माह की पुत्री सारिका को इलाज के अभाव में निमोनिया ने जकड़ लिया है, इससे उसकी हालत बिगड़ गई है। यही नहीं चार दिनों से चारों तरफ पानी के चलते कई लोगों की जान सांसत में है। बाढ़ के अंदर फंसे लोगों को नाव की जरूरत है, ताकि लोग नाव से आ जा सके। उमा शंकर तिवारी, विवेक तिवारी, राम मूर्ति शर्मा, दया शंकर तिवारी भी बाढ़ में फंसे हुए हैं।
एसडीएम ने जायजा लिया और लौट गए
एसडीएम पट्टी डीपी सिंहृ ने गांव जाकर बाढ़ की स्थिति का आकलन किया और लौट आए। बाढ़ में फंसे लोगों का आरोप है कि चार दिन बाद भी प्रशासन ग्रामीणों की मदद नहीं कर सका। रविवार को कृपा शंकर तिवारी ने सीएम के हेल्प लाइन नंबर पर सहयोग की मांग करते हुए नाव की मांग कर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। गांव के संजय कुमार शर्मा ने बताया कि 2019 में भी ऐसे ही हालात थे। तत्कालीन ग्राम प्रधान लाल प्रताप सिह ने प्रशासन के सहयोग से नाव की व्यवस्था करा दी थी। इससे बाढ़ में फंसे लोग घर से बाजार जाकर दवा तथा जरूरी सामान ले लेते थे। इस बार चार दिन बाद भी ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकी। इसके चलते बाढ में फंसे लोगो को दवाएं, सब्जी तथा जरूरी सामान नहीं मिल पा रहे हैं।