Ganga ExpressWay: जमीन किसी की और मुआवजा किसी और को, शिकायत पर एडीएम ने लगा दी रोक
पिछले दिनों तहसीलदार सोरांव ओम प्रकाश शुक्ला ने विवादित जमीन में से 1.1130 हेक्टेयर जमीन दूसरे पक्ष से रजिस्ट्री करवा ली। उनके पक्ष में 1.33 करोड़ मुआवजा के लिए दस्तावेज बना दिया और लिखा कि इसी जमीन पर कोई विवाद नहीं और इस जमीन का अन्य व्यक्ति भागीदार नहीं है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए सोरांव तहसील के 20 गांवों के किसानों की जमीन ली जा रही है। जमीन के बदले किसानों को भारी मुआवजा दिया जा रहा है। इस दौरान मुआवजा देने में खेल किया जा रहा है। मुआवजा बांटने के जिम्मेदार अफसरों ने 1.1130 हेक्टेयर विवादित जमीन का 1.33 करोड़ रुपये मुआवजा एक पक्ष को देने की तैयारी कर ली। उससे जमीन की रजिस्ट्री कराकर रिकार्ड भी पुख्ता कर लिया। इसकी जानकारी दूसरे पक्ष को हुई तो उन्होंने एडीएम वित्त एवं राजस्व से इसकी शिकायत की। शिकायत सही पाए जाने पर उन्होंने मुआवजा रुकवा दिया है। यह मामला प्रशासनिक हल्के में चर्चा में बना हुआ है।
शिकायत मिली तो एडीएम ने भुगतान पर लगा दी रोक
सोरांव के पश्चिम नारा गांव से होकर गंगा एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है। पश्चिम नारा गांव में प्रतापगढ़ के नेवढिया गांव निवासी हर्ष नारायण शुक्ला के नाना स्वर्गीय पारसनाथ की 14 बीघा जमीन है। इसमें सात बीघा जमीन गंगा एक्सप्रेस वे में जा रही है। चूंकि उनके मामा नहीं है, इसलिए उस जमीन की मालिक उनकी मां फूलकली पत्नी अनिल कुमार है। आरोप है कि धोखे से उनके नाना के परिवार के कुछ लोगों ने उस जमीन पर अपना नाम चढ़वा लिया। इसके खिलाफ वह कोर्ट गए तो जमीन उनकी मां फूलकली के नाम हो गई। दूसरे पक्ष ने उस पर खुद का हक बताते हुए चकबंदी से स्टे ले लिया। अभी तक जमीन का विवाद नहीं सुलझा। इसी दौरान गंगा एक्सप्रेस वे के लिए किसानों से जमीन ली जाने लगी। पिछले दिनों तहसीलदार सोरांव ओम प्रकाश शुक्ला ने विवादित जमीन में से 1.1130 हेक्टेयर जमीन दूसरे पक्ष से रजिस्ट्री करवा ली। उनके पक्ष में 1.33 करोड़ मुआवजा के लिए दस्तावेज बना दिया और लिखा कि इसी जमीन पर कोई विवाद नहीं और इस जमीन का अन्य कोई व्यक्ति भागीदार नहीं है। इसकी जानकारी फूलकली के बेटे हर्ष नारायण शुक्ला को हुई तो उन्होंने एडीएम एफआर जगदंबा सिंह से शिकायत की। इसलिए मुआवजे के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
एडीएम ने यह बताया
गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए अधिकतर जमीनों ली जा चुकी है। चार फीसद जमीनें लेना बाकी है, वह विवादित हैं। इसी बीच पश्चिम नारा गांव का एक मामला आया तो उसमें मुआवजा का भुगतान रुकवा दिया गया है। इस जमीन का फैसला होने के बाद जो इसका असली मालिक होगा, उसे दिया जाएगा।
- जगदंगा सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व, प्रयागराज