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कौशांबी के इस गांव में रावण का पुतला दहन ही नहीं शव यात्रा भी निकालते हैं ग्रामीण

सिराथू तहसील के गांव नारा में दशकों से चली आ रही परंपरा का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों को दूर करने और अधर्मी का नाश है। नवरात्र से ही रामलीला का मंचन चल रहा है। रावण जन्म राम जन्म श्रीराम विवाह लंका दहन आदि की लीला कलाकारों ने दिखाई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 07:34 PM (IST)
कौशांबी के इस गांव में रावण का पुतला दहन ही नहीं शव यात्रा भी निकालते हैं ग्रामीण
कौशांबी के गांव नारा में रावण की शव यात्रा निकाली जाती है।

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के कौशांबी में दशहरा पर रावण का पुतला फूंके जाने की परंपरा तो देशभर में मिलती है लेकिन कौशांबी के गांव नारा में रावण की शव यात्रा निकाली जाती है। असत्य पर सत्य की जीत का संदेश देने के लिए सोमवार की रात रावण की अर्थी निकाली जाएगी। यह परंपरा दशकों से चल आ रही है। इसमें आसपास के कई गांवों से शामिल होते हैं।

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200 साल से बनी है परंपरा

सिराथू तहसील के गांव नारा गांव में दशकों से चली आ रही परंपरा का उद्देश्य समाज में फैली बुराइयों को दूर करने और अधर्मी का नाश है। नवरात्र से ही रामलीला का मंचन चल रहा है। रावण जन्म, राम जन्म, मारीच वध, श्रीराम विवाह, लंका दहन आदि की लीला कलाकारों ने दिखाई है। सोमवार की रात रावण की अर्थी निकाली जाएगी। बुजुर्ग पंडित रामआसरे दुबे ने बताया कि गांव के ही देउवा बाबा ने 200 वर्ष पूर्ण रावण की शव यात्रा निकालने की शुरुआत की थी। उन्होंने इसे घइयल का जुलूस नाम दिए था, जो आज भी जारी है।

शव यात्रा के दौरान लगते हैं श्रीराम के जयकारे

इस शव यात्रा में एक व्यक्ति को चारपाई पर लिटा देते हैं और उसके ऊपर कफन व फूलमाला डाल दी जाती है। इसके बाद शव यात्रा पूरे गांव में करीब तीन घंटे तक घुमाया जाता है। इस दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए जाते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख दी जाती है। देउवा बाबा की मौत के बाद उनकी इस परंपरा को गुलजार व कालीदास ने यह जुलूस निकालने आगे रहे। अब नरेंद्र नामदेव व चुन्नीलाल इस कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी पूरी तरह से तैयारी कर ली गई है।


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