सुख-सौभाग्य का कारक है पूर्ण चंद्र, 30 नवंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त की यह है वजह Prayagraj News
इस बार पूर्णमासी 30 नवंबर को सोमवार को पड़ रही है। नक्षत्र रोहिणी है। कुल 11 नक्षत्र ही ऐसेे होते हैं जिनमें विवाह होता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है कि पूर्ण चंद्र सुख व सौभाग्य का कारक होता है इसलिए इस दिन शादी की काफी तेज लगन है।
प्रयागराज, जेएनएन । कार्तिक शुक्ल पूर्णमासी इस बार 30 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन ग्रहों की जो स्थिति बन रही है वह विवाह आदि के लिए विशेष शुभप्रद है। पूर्ण चंद्र को सुख और सौभाग्य का कारक माना जाता है। इसलिए इस दिवस पर तमाम लोगों ने अपने पाल्यों की शादियां नियोजित कर रखी हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शादी करने से वर-वधू के बीच प्रेम लंबे समय तक कायम रहता है। उनके जीवन में सुख-शांति होती है।
देवोत्थान एकादशी से आरंभ हुए मांगलिक कार्य
भगवान विष्णु सोए हुए थे। 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन वे शयन से जागृत हुए। उसी तिथि से शादी और अन्य मांगलिक कार्य शुरू हुए। आचार्य पं. देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार पूर्णमासी 30 नवंबर को सोमवार को पड़ रही है। नक्षत्र रोहिणी है। कुल 11 नक्षत्र ही ऐसेे होते हैं जिनमें विवाह होता है। इनमें पहली उत्तम लगन पूर्णमासी के दिन 30 नवंबर को पड़ रही है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है कि पूर्ण चंद्र सुख व सौभाग्य का कारक होता है इसलिए इस दिन शादी की काफी तेज लगन है।
पूर्णमासी को विवाह करने वालों के जीवन में आती है पूर्णता
पूर्णमासी यानी देव दीपावली का दिन शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय का मत है कि पूर्णमासी के दिन विवाह बंधन में बंधने वाले जोड़ों के जीवन में पूर्णता आती है। अबकी पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही है जिसका विशेष महत्व है। दिन-रात रोहिणी नक्षत्र रहेगा। वृश्चिक का सूर्य मित्र राशि में है। चंद्रमा वृष राशि में रहेगा वह भी उच्च का जिससे इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
मन-मस्तिष्क को मजबूती प्रदान करता है उच्च का चंद्रमा
ज्योतिषाचार्य आशुतोष के मुताबिक ऐसे मुहूर्त में संपन्न होने वाले कार्य में विघ्न बाधा नहीं आती है। उच्च का चंद्रमा होने व रोहिणी नक्षत्र के कारण वर-वधू के बीच लंबे समय तक प्रेम और विश्वास बना रहता है। मस्तिष्क और मन को भी मजबूती मिलती है।
देवी-देवता भी जोड़ों को देने आते हैं अपना आशीर्वाद
आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी कहते हैं कि देव दीपावली होने के कारण इस दिन शादी कर रहे जोड़ों को देवता भी अपना आशीर्वाद देने आते हैं। बताया कि भीष्म पंचक की निवृत्ति भी 30 नवंबर को हो रही है। हिंदुओं में शादी रात को ही होती है जब सूर्य-चंद्र का संयोग बनता है। इस संयोग में किया गया कोई भी कार्य अच्छा होता है। पूर्णमासी की लग्न सर्वाधिक शुभ है।