कुंभ में दिखेगी सिंधु घाटी सभ्यता से जंगे आजादी तक की झलक
कुंभ मेले में संस्कृति ग्राम के माध्यम से लोगों को सिंधु घाटी सभ्यता से जंगे आजादी तक की झलक दिखेगी। इसकी तैयारी पर्यटन विभाग कर रहा है।
प्रयागराज : कुंभ में श्रद्धालु त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी तो लगाएंगे ही, उनके पास इतिहास के गहरे सागर में गोते लगाने का भी मौका होगा। यहां उन्हें सिंधु घाटी की प्राचीन मानव सभ्यता के विकास से लेकर भारत की आजादी की पहली किरण तक के दर्शन होंगे। यह सब संगम तीरे अरैल में बनने वाले संस्कृति ग्राम में साकार होगा।
संस्कृति ग्राम पर्यटन विभाग की ओर से बसाया जा रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को यहां बदलती सभ्यता, संस्कृति, विकास का दीदार होगा। इतिहास का यह सफर डायरोमा (पेंटिंग व मूर्तियों) के जरिए दर्शाया जाएगा। संस्कृति ग्राम सूर्य के आकार का बनेगा, जिससे निकलने वाली 17 किरणों में 17 गैलरी बनेगी। मुख्य द्वार पर कुंभ का प्रतीक देवासुर संग्राम से पूर्व सागर मंथन का दृश्य नजर आएगा।
देश के कोने-कोने से आए कारीगर
डॉट आर्ट विजन के निदेशक अश्वनी श्रीवास्तव के डिजाइन पर इसे 300 कारीगर आकार देने में लगे हैं। बीएचयू से मास्टर ऑफ फाइन आट्र्स अश्वनी बताते हैं कि मुंबई, कोलकाता, वाराणसी, चेन्नई व उड़ीसा से कारीगर आए हैं। संस्कृति ग्राम का निर्माण पूरी तरह से लकड़ी, घास, मिट्टी, कपड़े और पुआल से हो रहा है।
सात एकड़ में बनेगा संस्कृति ग्राम
पर्यटन विभाग के उप निदेशक दिनेश कुमार ने बताया कि सात एकड़ में संस्कृति ग्राम पांच जनवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा। श्रद्धालुओं को प्रवेश 14 जनवरी से पहले दिया जाएगा।
त्रेतायुग से द्वापर की झलक
संस्कृति ग्राम में त्रेतायुग से द्वापर तक की झलक दिखेगी। सीता स्वयंवर, राम वनवास, समुद्र में सेतु निर्माण, राम-रावण युद्ध व श्रीराम का राज्याभिषेक के साथ ही द्रोपदी स्वयंवर, चीरहरण, श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश देना, पांडव-कौरवों का युद्ध खूबसूरती से दर्शाया जा रहा है।
खास होगी सिंधु घाटी की सभ्यता
संस्कृति ग्राम में सिंधु घाटी की सभ्यता विशेष होगी। इसमें पक्की ईंटों के मकान, नर्तकी की मूर्ति, बैलगाड़ी में लगे पत्थर के पहिए, उस दौर का बाजार, हल से खेती करना, स्नानागार, ड्रेनेज सिस्टम को दिखाया जाएगा, जिसे देखकर हर कोई अतीत में खो जाएगा।
भाएगी मुगलों की शिल्पकारी
संस्कृति ग्राम में मुगलों का शासन भी दिखाया जाएगा। मुगलकाल की शिल्पकारी, सिक्कों को लोग एक स्थान पर देख सकेंगे। अकबरकालीन राम व सीता के चित्र वाला सिक्का 'रामटकाÓ भी दिखेगा। इसके अलावा ताजमहल, बुलंद दरवाजा, कुतुबमीनार, लालकिला संग आजादी की लड़ाई का क्रांतिकारी इतिहास भी यहां दर्शनीय होगा।