चार पंपों से छोड़ा गया पानी
जासं, इलाहाबाद : बाढ़ का खतरा बढ़ने के बाद मोरी गेट बंद होने पर अब चार पंपों से पानी नदी
जासं, इलाहाबाद : बाढ़ का खतरा बढ़ने के बाद मोरी गेट बंद होने पर अब चार पंपों से पानी नदी में छोड़ा जा रहा है। बख्शी बंद का गेट 11 दिन पहले से ही बंद है। जलस्तर बढ़ने पर शहर के सभी नीचे इलाकों में घरों में पानी घुस गया है। लोग इसको लेकर परेशान हैं।
शहर में बख्शी बांध और मोरी गेट दो मुख्य बाढ़ बांध हैं। यहां से शहर का पानी नदी में छोड़ा जाता है। गंगा-यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इसलिए बख्शी बांध गेट को बंद कर दिया गया है। मोरी गेट बंद होने पर अगर शहर में अगर भारी बारिश हो जाती है तो शहरवासियों के लिए मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। क्योंकि नालों से पानी बांध तक पहुंचने में समय लगेगा। जब तक पंप तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंचेगा, तब तक पंपों को नहीं चलाया किया जाएगा। हालांकि बाढ़ के खतरे को देखते हुए नगर निगम ने पहले से तैयारी कर ली है। बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है। सफाई कर्मचारियों को भी अलर्ट कर दिया गया है।
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मोरी गेट पर 10 पंप की व्यवस्था
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मोरी गेट से शहर का 60 फीसद से ज्यादा पानी निकलता है। एसटीपी का गेट बंद होने पर पंपों के माध्यम से पानी छोड़ा जाता है। मोरी गेट पर चार बिजली के पंप और छह डीजल के पंप हैं। पंप पांच क्यूसेक से लेकर 31 क्यूसेक के हैं। जब जरूरत पड़ती है तो 31 क्यूसेक के दो पंप चलाए जाते हैं। बख्शी बांध गेट बंद होने पर वहां पर भी दो पंप चल रहे हैं। कुल 12 पंप हैं। अलोपीबाग के पार्षद कमलेश सिंह का कहना है कि संभावना है कि अगले दो दिन में मोरी गेट को खोल दिया जाएगा। गेट बंद होने पर शहरवासी थोड़ा पानी की खपत कम करें। अगर वह इस पर ध्यान देंगे तो मोरी गेट बंद होने का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। जलकल के महाप्रबंधक राधे श्याम सक्सेना का कहना है कि मोरी गेट का बंद कर दिया है। यहां पर दस पंप हैं। कितना भी इकट्ठा हो जाए, उसे आसानी से नदी में छोड़ा जा सकता है। टीम को सतर्क कर दिया है। जैसे ही पानी छोड़ने की जरूरत महसूस की जाएगी, वैसे ही पंपों को शुरू कर दिया जाएगा।
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