इंदिरा मैराथन रूट पर आॅफिसियल टीम के निरीक्षण में मिले चार गड्ढे
34वीं इंदिरा मैराथन 19 नवंबर को होगी। इसके तहत खेल कार्यालय ने तैयारी शुरू कर दी है। आॅफिसियल टीम ने मैराथन के रूट का निरीक्षण किया। इस दौरान चार स्थानों पर गड्ढे मिले।
प्रयागराज : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती 19 नवंबर को होने वाली अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन दौड़ के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सोमवार को ऑफिसियल टीम ने मैराथन के 42.195 किलोमीटर रूट का निरीक्षण किया। इस दौरान चार स्थानों पर गड्ढे मिले। बुधवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली पहली बैठक में यह मुद्दा रखा जाएगा। वहीं इस रूट पर पड़ने वाले सीएमपी डिग्री कॉलेज के निकट डॉटपुल के नीचे की सड़क पर अभी चलना दूभर है।
पिछले 33 सालों से 19 नवंबर को संगम नगरी में इंदिरा मैराथन का आयोजन हो रहा है। इस बार 34वीं इंदिरा मैराथन होगी। इसके लिए क्षेत्रीय खेल कार्यालय ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सोमवार को उप क्रीड़ाधिकारी देवी प्रसाद, उप क्रीड़ाधिकारी रंजीत यादव, कोच सतेंद्र और संजय गुप्ता की चार सदस्यीय टीम ने आनंद भवन से लेकर अरैल घाट और अरैल घाट से लेकर मदन मोहन मालवीय स्टेडियम तक रूट का निरीक्षण किया। आनंद भवन के सामने, सीएमपी डॉटपुल के नीचे, बैरहना और पुराने यमुना पुल के नीचे गड्ढे मिले। इसके अलावा पतंजलि स्कूल और हाईकोर्ट के सामने सड़क खराब मिली। ऑफिसियल टीम ने पूरे रूट का निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार कर ली है।
बुधवार को जिलाधिकारी सुहास एलवाइ की अध्यक्षता में होने वाली इंदिरा मैराथन की बैठक में रूट के गड्ढों समेत अन्य तैयारियों पर चर्चा होगी। रूट पर कहां-कहां धावकों के लिए पानी की सुविधा, प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था रहेगी, इस पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही धावकों को इंदिरा मैराथन दौड़ में शामिल होने का न्योता भेजने का काम भी शुरू हो जाएगा। उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ सभी प्रदेशों के एथलेटिक्स संघ को आमंत्रण भेज रहा है। मैराथन के साथ ही आठ और चार किमी की क्रास कंट्री दौड़ भी होगी।
ऑनलाइन व ऑफलाइन पंजीयन :
मैराथन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीयन की सुविधा रहेगी जबकि क्रास कंट्री के लिए स्टेडियम में जाकर पंजीयन कराना होगा। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी चंचल मिश्रा ने बताया कि बुधवार को बैठक में सभी विषय तय हो जाएंगे।
सेना का रहता है दबदबा :
इंदिरा मैराथन में सेना का दबदबा रहता है। टॉप टेन धावकों में अधिकांश सेना के जवान होते हैं। क्रास कंट्री में प्रदेश भर के धावक शामिल होते हैं। दूसरे जनपद के खिलाड़ी भी पुरस्कार जीतते हैं।