प्रतापगढ के कद्दावर नेता रघुराज प्रताप सिंह का जन्मदिन आज, राजा भैया समर्थक उत्साहित
जेल से छूटने पर राजा भैया मुलायम सिंह सरकार में मंत्री बने थे। तीन साल पहले हुए राज्य सभा सदस्य के चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में मतदान नहीं किया था। इसे लेकर उनकी अखिलेश यादव से दूरियां हो गई थी और सपा से नाता तोड़ लिया था।
प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कुंडा के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह का आज रविवार को जन्मदिन मनाया जा रहा है। राजा भैया के नाम से समर्थकों में प्रसिद्ध हैं जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर रघुराज प्रताप सिंह। उनका आज 52वां जन्मदिन है। जन्मदिन पर प्रतापगढ़ के समर्थकों में उत्साह है। जगह-जगह कार्यकमों का आयोजन किया जा रहा है।
1993 के विधान सभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी थे राजा भैया
कुंडा विधान सभा क्षेत्र के बेंती कोठी के रहने वाले रघुराज प्रताप सिंह ने वर्ष 1993 के विधान सभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली बार सियासत में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके ही विधान सभा में चुनाव के दौरान कल्याण सिंह उनके खिलाफ भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किए थे। बाद में कल्याण सिंह की ही सरकार में वे मंत्री बने। राजा भैया राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहे।
राजा भैया को वर्ष 2002 में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था
राजा भैया ने वर्ष 2002 में उस समय बगावत किया था, जब भाजपा व बसपा गठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री मायावती के मंत्रिमंडल में उन्हें स्थान नहीं मिला था। इसे लेकर उनके खिलाफ विधायक पूरन सिंह बुंदेला को धमकाने के मामले में लखनऊ के हजरतगंज में मुकदमा दर्ज करके उन्हें 2 नवंबर 2002 की आधी रात गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद उनके, उनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह, एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह, तत्कालीन बिहार विधायक रामनाथ सरोज सहित दर्जन भर समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था और सभी को जेल भेज दिया गया था। यही नहीं राजा भैया, उनके पिता और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ कुंडा कोतवाली में पोटा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
अखिलेश यादव से दूरी हुई तो सपा से तोड़ा नाता
करीब 18 महीने बाद जमानत से जेल से छूटने पर राजा भैया मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री बने थे। तीन साल पहले हुए राज्य सभा सदस्य के चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में मतदान नहीं किया था। इसे लेकर उनकी अखिलेश यादव से दूरियां हो गई थी और समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ लिया था। वह लगातार निर्दलीय चुनाव लड़ते आ रहे हैं। 2002 के पहले तक वे भाजपा के साथ थे और 2004 से लेकर सपा के साथ। दो साल पहले उन्होंने अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया। इस समय आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर वे प्रदेश के जिलों में दौरे कर रहे हैं। 31 अक्टूबर को उनका 52वां जन्मदिन है, इसे मनाने को लेकर समर्थकों में काफी उत्साह है।