उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग सचिव रहे संजय सिंह कालेज प्रवक्ता बनने लायक भी नहीं
उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व सचिव संजय सिंह को बर्खास्त करने का आदेश दिया और कहा कि वह कालेज प्रवक्ता बनने के भी योग्य नहीं हैं।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग उप्र इलाहाबाद के पूर्व सचिव संजय सिंह की नियुक्ति अवैध करार दी है। कोर्ट ने उन्हें महाविद्यालय के प्रवक्ता पद का भी योग्य नहीं माना, उनकी राजकीय डिग्री कालेज की नियुक्ति को भी अवैध करार दिया है। कोर्ट ने संजय को तत्काल पद छोडऩे की अधिकार पृच्छारिट जारी की है। सिंह ने नागा अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नियुक्ति प्राप्त की थी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र की खंडपीठ ने डा. धीरेंद्र सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचीगण दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। जिन्होंने संजय सिंह की आयोग के सचिव पद पर नियुक्ति की योग्यता पर सवाल खड़े किये। असल में संजय सिंह ने नागा जाति का प्रमाणपत्र लेकर छह अप्रैल 1998 को राजकीय डिग्री कॉलेज में तदर्थ प्रवक्ता पद पर नियुक्ति प्राप्त की, जो फर्जी था। एमए परीक्षा के अंकपत्र में भी हेराफेरी करके अंक दर्ज किये गए हैं। कोर्ट ने जांच का आदेश दिया और मुख्य सचिव से जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों का दस्तावेजों के आधार पर निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा। मुख्य सचिव ने संजय सिंह के बचाव को भी दर्ज किया और उनके फर्जी दस्तावेजों व विभागों से मूल दस्तावेज गायब होने की अनदेखी की।
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हालांकि इसको लेकर संजय सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई, जिस पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी गयी कि रिकार्ड गायब हैं। उसके बाद उन पर कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की गयी। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव ने जांच अधिकारी की ढुलमुल रिपोर्ट को आंख मूंदकर स्वीकार कर लिया। यहां तक कि संजय सिंह के काल्पनिक सच को स्वीकार किया गया। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि गंभीर आरोपों के बावजूद सिंह को आयोग के सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनाती दी गई और वह लंबे समय तक वहां तैनात रहे। कोर्ट ने ऐसे व्यक्ति को सचिव नियुक्त करने पर गहरी नाराजगी प्रकट की है।
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मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सीबीआइ जांच
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ग्वालियर पर फर्जी डिग्री देने के आरोप की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा बोर्ड की मान्यता नहीं है लेकिन पूरे भारत में इसका नेटवर्क है। गैंग का पता लगा दण्डित करने के लिए सीबीआई जांच जरूरी हैं। ग्वालियर बोर्ड की हाईस्कूल इंटर की परीक्षा की कहीं से मान्यता नहीं है। कोर्ट ने सीबीआई को फर्जी सर्टिफिकेट की जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। जस्टिस वीके शुक्ल तथा जस्टिस एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कन्नौज व अन्य की विशेष अपील पर आदेश दिया है।
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