पूर्व सांसद उमाकांत यादव को हत्या व जानलेवा हमला करने के आरोप में हाई कोर्ट से मिली सशर्त जमानत
हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप व देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अदालतों में सुनवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में अनिश्चितता के कारण मुकदमे के निस्तारण का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने दिया है। उमाकांत पर जौनपुर के शाहगंज रेलवे स्टेशन पर फायरिंग कर एक कांस्टेबल की हत्या व कई लोगों से मारपीट करके घायल करने के आरोपित अपने ड्राइवर को छुड़ाकर ले जाने का आरोप है। इसका मुकदमा एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में चल रहा है।
हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप व देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अदालतों में सुनवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में अनिश्चितता के कारण मुकदमे के निस्तारण का निर्देश नहीं दिया जा सकता। याची 23 साल से जमानत पर था। पेशी पर उपस्थित न होने व सुनवाई में बाधा डालने के कारण विचारण न्यायालय ने जमानत निरस्त करके गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। कोर्ट के आदेश से समर्पण के बाद जेल में बंद हैं। कोर्ट ने जमानत की शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया है।
यह है मामला : चार फरवरी, 1995 की बात है। उस समय उमाकांत यादव जौनपुर से विधायक थे। वह जीआरपी चौकी शाहगंज के सामने ड्राइवर रामकुमार यादव, गनर व दो पीआरडी जवान के साथ बेंच पर बैठे थे। उसी दौरान रामकुमार से सीट पर बैठने को लेकर एक शख्स से झगड़ा हुआ। खबर पाकर वहां पहुंचा सिपाही रघुनाथ दोनों पक्षों को पुलिस चौकी ले गया। ड्राइवर रामकुमार को चौकी से छुड़ाने के लिए उमाकांत समेत अन्य लोगों ने फायरिंग की। गोली से कांस्टेबल अजय सिंह की मौत हो गई, जबकि कांस्टेबल लल्लन सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य कई रेलवे कर्मचारी फायरिंग में घायल हुए और उमाकांत साथियों सहित ड्राइवर राजकुमार को पुलिस चौकी से छुड़ा कर ले गए। सरकारी असलहा भी लूटने का प्रयास किया। उसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई।सीबीसीआइडी लखनऊ ने विवेचना कर आरोप पत्र पेश किया था।