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प्रयागराज: पूर्व राज्यपाल व रिटायर्ड जस्टिस अंशुमान सिंह का देर रात निधन, लखनऊ पीजीआइ में थे भर्ती

वह राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे थे। आज शाम प्रयागराज में ही रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह 1984 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज बने थे। वह संविधान के अच्छे जानकार थे। उनके निधन की खबर से कानूनविदों में शोक की लहर दौड़ गई।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 02:37 PM (IST)
प्रयागराज: पूर्व राज्यपाल व रिटायर्ड जस्टिस अंशुमान सिंह का देर रात निधन, लखनऊ पीजीआइ में थे भर्ती
गुजरात और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल जस्टिस अंशुमान सिंह (85) का देर रात निधन हो गया।

प्रयागराज, जेएनएन। गुजरात और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल व पूर्व न्यायमूर्ति अंशुमान सिंह (85) सोमवार की सुबह चार बजे लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वहां से पार्थिव शरीर प्रयागराज लाया जा रहा है। लोगों के दर्शन के लिए पार्थिव शरीर जार्जटाउन स्थित आवास पर रखा जाएगा। अंशुमान सिंह के निधन की जानकारी मिलते ही उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालोंं का तांता लग गया। सोमवार की शाम प्रयागराज में ही रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार करने की तैयारी है।

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पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी करने के बाद 1957 में जिला अदालत में वकालत शुरू किया। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में 1968 में वकालत करने लगे। कुछ साल में ही सिविल व सर्विस मामलों में चर्चित वकील हो गए। वह 1984 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बने थे, जबकि 1994 में वरिष्ठ न्यायमूर्ति के रूप में राजस्थान हाई कोर्ट में इनका स्थानांतरण हुआ।

अंशुमान सिंह सेवानिवृत्त होने के बाद 17 अप्रैल 1998 में गुजरात के राज्यपाल बने। राज्यपाल के रूप में 16 जनवरी 1999 को इनका स्थानांतरण राजस्थान हो गया। वहां 13 मई 2003 तक राज्यपाल रहे। राजस्थान इन्हें इतना भाया कि जयपुर में अपना मकान भी बनवा लिया। न्यायमूर्ति अंशुमान का एक बेटा अमेरिका में है, जबकि एक बेटा वरुण प्रताप सिंह इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करते हैं। पिछले साल कोरोना की वजह से अमेरिका से आए बेटे को उन्होंने एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया था। वह संविधान के अच्छे जानकारों में थे। न्यायमूर्ति अंशुमान सिंह के निधन की खबर से कानूनविदों में शोक की लहर दौड़ गई।


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