Move to Jagran APP

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर ने कहा-स्वदेशी ज्ञान पर भरोसा करे युवा पीढ़ी Prayagraj News

ट्रिपल आइटी के स्‍थापना दिवस समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. मुरली मनोहर जोशी ने युवाओं को टिप्‍स दिए। उन्‍हें विदेश पलायन से बचने की भी सलाह दी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 07:47 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 07:47 AM (IST)
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर ने कहा-स्वदेशी ज्ञान पर भरोसा करे युवा पीढ़ी Prayagraj News
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर ने कहा-स्वदेशी ज्ञान पर भरोसा करे युवा पीढ़ी Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भारतीय ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान से जोड़कर विस्तार देने की जरूरत है, तभी देश विकास की राह पर चलेगा। आह्वïान किया कियुवा स्वदेशी ज्ञान पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ें। वे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) की स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण पर आयोजित 'बियॉन्ड ट्वेंटी 2020' कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

prime article banner

कहा, पांडुलिपियों का डिजिटलाइजेशन जरूरी है

उन्होंने आधुनिक अनुसंधान को बॉयोनरी साइंस से जोड़ते हुए कहा कि पिंगल के छंदशास्त्र में इस बात का उल्लेख है कि मंत्रों का उच्चारण कैसे किया जाना चाहिए। मंत्रों को उसी क्रम में पढऩे के लिए यह पद्धति बनाई गई। कहा कि तीन से चार करोड़ पांडुलिपियां नष्ट होने की कगार पर हैं। इनका डिजिटलाइजेशन नहीं किया गया तो ज्ञान का अथाह भंडार खत्म हो जाएगा। कहा कि हम दिल्ली में कुतुबमीनार देखकर तो प्रसन्न होते हैं, लेकिन वहीं सैकड़ों वर्ष पहले बनाए गए रस्ट लेस वंडर को देखने नहीं जाते, जबकि विज्ञान की ही देन है कि इस लोहे के पिलर में जंग नहीं लगी।

डॉ. जोशी ने युवाओं के विदेश भागने की प्रवृत्ति पर तंज कसा

युवाओं के विदेश भागने की प्रवृत्ति पर भी उन्होंने तंज कसा। बोले, जब शुरू में आइआइटी खुले तो दाखिले के बाद छात्रों की आत्मा अमेरिका भाग जाती थी। पढ़ाई पूरी होने पर शरीर आत्मा की खोज में अमेरिका पहुंचता था, तब आत्मा से मिलाप होता था। सवाल किया कि सब मार्क जुकरबर्ग और अली बाबा ही करेंगे या आत्मा भी कुछ काम करेगी? यह कहते हुए नसीहत दी कि युवा स्वदेशी ज्ञान पर भरोसा कर केवल सॉफ्टवेयर बनाकर विदेश को बेचने के बजाय खुद हॉर्डवेयर भी बनाने लगें तो उन्हें विदेश में लाख रुपये की नौकरी के लिए नहीं भागना होगा।

बोले, मेरे पास ज्यादा समय नहीं बचा

संस्थान की ओर से सम्मानित किए जाने के बाद उन्होंने कहा कि मेरे बारे में जो कुछ कहा गया वह जरूरत से ज्यादा था। कहा कि मेरी उम्र हो चुकी है। मेरे पास समय बहुत कम बचा है, जो करना था किया।

प्रकृति से लड़ेंगे तो हो जाएंगे तबाह

डॉ. जोशी का जोर प्रकृति के संरक्षण पर भी था। बोले, प्रौद्योगिकी को पहले धन के रूप में माना जाता था, हालांकि अब इसे धन द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकृति से लड़ेेंगे तो वह आपको तबाह कर देगा।

अपने नाम पर बने मुक्तांगन का नहीं किया उद्घाटन

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने डाक विभाग की सहायता से ट्रिपलआइटी के 20 वर्ष पूरे होने पर डाक टिकट भी जारी किया। अपने नाम से बने मुरली मनोहर मुक्तांगन का उद्घाटन करने से मना कर दिया। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष स्व. प्रो. एस रामेगौड़ा की पत्नी सुशीला रामेगौड़ा ने मुक्तांगन का उद्घाटन किया। डॉ. जोशी ने प्रो. एमजी के. मेनन के नाम पर गेट नं. दो तथा स्व. एआर वर्मा के नाम पर द्वार एक को समर्पित किया। प्रो. वर्मा आइआइआइटी-ए सोसाइटी के पहले अध्यक्ष थे।

सम्मानित किए गए अतिथि

डॉ. माधवेंद्र मिश्रा ने डॉ. जोशी के लिए मानपत्र पढ़ा। निदेशक प्रो. पी नागभूषण, प्रो. शेखर वर्मा और प्रो. शिर्शू वर्मा ने उनका अभिनंदन किया। डॉ. विजयश्री तिवारी ने सुशीला रामेगौड़ा के लिए मान पत्र पढ़ा। अकादमिक काउंसिल के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. एके गुप्ता को भी सम्मानित किया गया। प्रो. शेखर वर्मा, प्रो. टी लहरी, प्रो. उमा शंकर तिवारी, प्रो. जीसी नंदी, प्रो. अनुपम अग्रवाल मौजूद रहे। सांस्कृतिक संध्या भी हुई। स्पिक मैके के दो कलाकार पं अमित, असित गोस्वामी ने सितार-सरोद की जुगलबंदी प्रस्तुत की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.