शाति स्थापना का एकमात्र मार्ग गाधी पथ पर अनुगमन : कुलपति
श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय फाफामऊ एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बदलते परिदृश्य में वैश्विक समाज के लिए गाधीवादी मूल्यों की भूमिका एक विमर्श विषयक सात दिवसीय कार्यशाला का सोमवार को समापन हुआ। उद्घाटन और समापन सत्र की अध्यक्षता कालेज के चेयरपर्सन एवं इविवि में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रोफेसर प्रशात अग्रवाल ने किया।
जासं, प्रयागराज : श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय फाफामऊ एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 'बदलते परिदृश्य में वैश्विक समाज के लिए गाधीवादी मूल्यों की भूमिका एक विमर्श' विषयक सात दिवसीय कार्यशाला का सोमवार को समापन हुआ। उद्घाटन और समापन सत्र की अध्यक्षता कालेज के चेयरपर्सन एवं इविवि में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रोफेसर प्रशात अग्रवाल ने किया।
उन्होंने महात्मा गाधी के विचारों, स्वावलंबन, स्वदेशी और नैतिकता की वर्तमान समय में अत्यधिक आवश्यकता को आत्मसात करने की बात कही। साथ ही अहिंसा से ही वैश्विक शाति की स्थापना की बात कही। मुख्य वक्ता मगध विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि युद्ध की कल्पना एवं संभावना से आक्रात इस विश्व में स्थायी शाति स्थापना का एकमात्र मार्ग है गाधी पथ का अनुगमन। महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. गोविन्द दास ने पोरबंदर यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वाउचर वाणी एवं व्यवहार की एकता ही गाधी का जीवन दर्शन था। प्रो. ऋषिकात पांडेय ने गाधी द्वारा समाज के सात पापों का उल्लेख किया और सबसे अधिक शिक्षा में राजनीति में नैतिकता की वकालत की। प्रो. हरिशकर उपाध्याय ने समाज के सिद्धात और व्यावहारिक जीवन के बीच बढ़ती खाई पर चिंता व्यक्त की। प्रो. ज्योति स्वरूप दुबे ने महात्मा गाधी की पुस्तक हिन्द स्वराज के अनेक उद्धरणों का उल्लेख करते हुए गाधी की विचारधारा को अनुकरणीय बताया। अतिथियों का स्वागत इविवि के पीआरओ डॉ. शैलेंद्र मिश्र व संचालन डॉ. हिमाशु यादव ने किया। इस दौरान डॉ. रजनीकात राय, डॉ. पवन पाठक, डॉ. सतीश उपाध्याय, डॉ. हेमंत कुमार सिंह, डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. अजय यादव, डॉ. चंद्रेश पाडेय, विवेक उपाध्याय, महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. कंचन यादव आदि उपस्थित रहीं।