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रमजान मुबारक : शबेकद्र की कीमती रातों में पूरी रात तिलावत

रमजान का पाक महीना चल रहा है। दो अशरा समाप्‍त हो चुका है और तीसरा चल रहा है। तीसरे अशरे की पांच रातें कीमती मानी जाती है। मुस्लिम बाहुल्‍य इलाकों में चहल-पहल है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 07:03 PM (IST)
रमजान मुबारक : शबेकद्र की कीमती रातों में पूरी रात तिलावत
रमजान मुबारक : शबेकद्र की कीमती रातों में पूरी रात तिलावत

प्रयागराज, जेएनएन। मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा चल रहा है। इसी अशरे में सबसे कीमती रातें शबेकद्र हैं। हदीस है कि शबेकद्र की पांच रातें सबसे अफजल हैं। इन रातों में खुदा बंद करीम अपने बंदों से सीधे मुखातिब होते हैं। फरिश्ते भी इबादत करने वालों के लिए दुआएं करते हैं। 21वीं शब निकल चुकी है। आज 23वीं शब की रात है। ऐसे में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में शबेकद्र पर पूरी रात तिलावत करने की तैयारी है।

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तीसरे अशरे की पांच रातों को बहुत ही कीमती माना गया है

यूं तो रमजान मुबारक का पूरा महीना रहमतों बरकत का होता है लेकिन तीसरे अशरे की पांच रातों को बहुत ही कीमती माना गया है। 21वीं शब यानी 21 रमजान की रात निकल गई है। 23वीं शब यानी 23वें रोजे की शब, इसके बाद 25वीं, 27वीं और 29वीं शब पूरी रात तिलावत की होती है। हदीसे पाक में है कि इन्हीं रातों में कुरआन पाक नाजिल हुई थी। रोजेदार इस अहम रात को तिलावत में गुजारते हैं। फिर अल्लाह की बारगाह में हाथ फैलाकर दुआएं मांगते हैं। एक रात एक हजार रातों से भी अफजल है, यानि एक रात का सवाब एक हजार रातों से भी ज्यादा होता है। 

बंट रही जकात, कमा रहे सवाब

रमजान मुबारक का अहम अरकान जकात बांटना भी है। हदीस में है कि आपकी ईद तब तक खुशी नहीं लाएगी जब तक पड़ोस, रिश्तेदार या फिर कोई भी गरीब ईद की खुशियां न मना सके। मतलब उसकी जरूरतों को भी पूरा करना हर मोमिन का फर्ज है। ऐसे में गरीब, मिस्कीन, बेसहारों को कपड़े, जूते-चप्पल, सेवईं, रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले सामान के साथ रुपये बांटने का सिलसिला तेज हो गया है। तमाम लोग मस्जिदों के बाहर पहुंच गरीब, फकीर को मदद दे रहे हैं। कई जगहों पर पम्पलेट और पोस्टर चस्पा किए गए हैं। उन पर मोबाइल नंबर लिखे हैं। लिखा है, जरूरतमंद संपर्क करें। रमजान मुबारक माह का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है। मस्जिदों में एतेकाफ चल रहा है। करेली, अटाला, रसूलपुर, चकिया, रोशनबाग, सिविल लाइंस, कटरा, मुट्ठीगंज, धूमनगंज, रानीमंडी, नखासकोहना आदि इलाकों में इफ्तार कराया गया। 

बिछड़ों को मिला रहे नस्सू मास्टर 

रमजान मुबारक का महीना हो और 66 साल के मो. नफीस उर्फ नस्सू मास्टर का जिक्र न हो, ऐसा कम ही होता है। बक्शी बाजार के रहने वाले बुजुर्ग मो. नफीस रोशनबाग बाजार की भीड़ में बिछड़ गए बच्चों आदि को उनके परिजनों से मिलाते हैं। नस्सू लाउडस्पीकर पर दिन भर एलान करते रहते हैं कि चोर, उचक्कों से सावधान रहें। महिलाओं से बदतमीजी करने वालों को अगाह करते रहते हैं। नस्सू मास्टर ने कंट्रोल रूम बनाया हुआ है, भीड़ में किसी का पर्स, मोबाइल या फिर अन्य सामान गिर जाता है तो वह नस्सू के पास जमा कर देता है। फिर वह एलान कर उस शख्स को सामान सौंप देते हैं। कई बच्चों को उन्होंने उनके माता-पिता से मिलाया है।

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