माघ मेला के लिए 30 दिन में बनाने हैं पीपे के पांच पुल
माघ मेला के लिए बनने वाले पाच पाटून पुल का टेंडर जारी कर दिया गया है। इस बार इन पांच पुलों को 30 दिनों के अंदर ही बनाए जाने का लक्ष्य है क्योंकि कोरोना की बंदिशों के चलते माघ मेले की तैयारी ही देर से शुरू हुई है।
जासं, प्रयागराज : माघ मेला के लिए बनने वाले पाच पाटून पुल का टेंडर जारी कर दिया गया है। इस बार इसे महीने भर में ही तैयार करना है। इससे पहले के माघ मेला आयोजन में इस काम को पूरा करने में दो से ढाई महीने लगते थे लेकिन इस बार कोरोना की बंदिशों के चलते देर से काम शुरू हुआ और अतिरिक्त श्रमिकों को लगाकर इसे जल्द से जल्द पूरा करना होगा।
कोरोना के चलते माघ मेला 2021 का काम बहुत पिछड़ गया है। शासन से स्वीकृति मिल गई है लेकिन जमीन पर अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है। पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग के निर्माण खंड चार ने चकर्ड प्लेट की सड़कों के लिए टेंडर जारी कर दिया था। मेले में 16 सड़कें बनेगी। इसका टेंडर इस महीने के आखिर तक हो जाएगा और अस्थाई सड़कों का निर्माण शुरू हो जाएगा। गुरुवार को पाच पाटून पुल के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। यह होंगे पांटून पुलों के नाम
पिछले मेले की तरह इस बार भी गंगा नदी पर महावीर पुल, त्रिवेणी पुल, काली पुल, गंगोली शिवाला पुल और ओल्ड जीटी पुल का निर्माण कराया जाएगा। लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता एमके सिंह ने बताया कि इस बार समय कम है और 14 जनवरी को होने वाले पहले स्नान से पूर्व सभी पुलों को तैयार कर देना है। अभी पुल के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई है। 27 नवंबर को इसका टेंडर खोला जाएगा। उसके तुरंत बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। इस बार 30 दिन में पाचों पुलों को तैयार करके श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। यह पुल बनने से उखड़ने तक नदी पर साढे़ तीन महीने तक रहेगा, इस अवधि में मेंटिनेंस की जिम्मेदारी ठीकेदार की रहेगी। पुल और उनके निर्माण में आने वाली लागत
- महावीर पुल : 45 लाख
- त्रिवेणी पुल : 52 लाख
- काली पुल : 55 लाख
- गंगोली शिवाला पुल : 41.50 लाख
- ओल्ड जीटी पुल 43.50 लाख नहीं हुआ पिछला भुगतान
माघ मेला 2020 में हुए कार्यो के 44 करोड़ रुपये का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। पिछले दिनों शासन से 31 करोड़ रुपये मिला है। इसमें करीब पांच करोड़ रुपये का लोक निर्माण विभाग के ठीकेदारों का भुगतान करना था। लेकिन भुगतान नहीं हुआ, इसलिए वह नया टेंडर लेने से इन्कार कर रहे हैं। सड़कों का टेंडर जारी हुआ है और किसी ने अब तक टेंडर नहीं भरा।