पहले एक्जाम में खाकी पास, अब होगी असली अग्नि परीक्षा
सुरक्षा एजेंसी, मेला प्रशासन और पुलिस ने मिलकर पहला शाही स्नान तो सकुशल संपन्न करा लिया। अब उनके समक्ष दूसरे और महत्वपूर्ण मौनी अमावस्या को कराना चुनौती है।
कुंभनगर : महीनों की मशक्कत, मीटिंग दर मीटिंग, मॉक ड्रिल, रिहर्सल, रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए तैयारी करने वाली खाकी पहली परीक्षा में कम नंबरों से पास हो गई। कुछ खामियों और लापरवाहियों ने नंबर जरूर घटाए लेकिन खाकी ने हर अनहोनी की आशंकाओं को दरकिनार कर दिया। मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही पुलिस ने आस्था के इस समंदर में ड्यूटी की डुबकी लगाकर सुरक्षित कुंभ की ओर कदम बढ़ा दिया है। मकर संक्रांति स्नान पर्व, प्रथम शाही स्नान एक तरह से कुंभ सिक्योरिटी प्लान और ट्रैफिक प्लान का रिहर्सल माना जा रहा था। इसका फेल होना पूरी तैयारी को डिस्टर्ब कर देता है।
खास-खास
- पहली परीक्षा में खाकी पास, अब अग्नि परीक्षा
- कुछ खामियों से खराब हुए नंबर, हाथ जोड़ संभाले हालात
- नागाओं के तेवर चढ़े तो ठंड में पसीने-पसीने हुए अफसर
- ड्यूटी की डुबकी लगा सुरक्षित कुंभ की ओर बढ़ाया कदम
आतंकी गतिविधियों से कम क्राउड मैनेजमेंट पर अधिक चिंता
सबसे बड़े धाॢमक मेले में देश की सभी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की इज्जत भी दांव पर है। आतंकी गतिविधियों को लेकर परेशानी कम क्राउड मैनेजमेंट को लेकर ङ्क्षचता ज्यादा है। इसी पर खाकी ने फोकस भी किया है। अखाड़ों के शाही स्नान के दौरान थोड़ी अव्यवस्था ने माहौल बिगाड़ा लेकिन वक्त रहते सब ठीक कर लिया गया। जहां नागाओं को स्नान करना था वहां आम श्रद्धालु जमा थे, वह हटने को तैयार नहीं थे। ऐसे में नागाओं के तेवर चढ़ गए। ललकार शुरू हुई तो अफसरों के पांव कांपने लगे। फिर क्या था, आला अफसर सिपाही की भूमिका में आ गए। श्रद्धालुओं के हाथ पैर जोड़े, उन्हें वहां से हटाया।
एडीजी और आइजी को भी बनानी पड़ी मानव श्रृंखला
मकर संक्रांति पर आलम यह रहा कि एडीजी एसएन साबत, आइजी मोहित अग्रवाल और डीआइजी कुंभ केपी ङ्क्षसह को भी सिपाहियों सरीखी खुद मानव शृंखला बनानी पड़ी। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने साधु संतों के कपड़े तक उठाए। सुरक्षा के साथ सेवाभाव का जो डंका पीटा गया वह मकर संक्रांति स्नान पर देखने को मिला।
अफवाहों पर काबू पाना भी चुनौती
कुंभ में सभी सुरक्षा एजेंसियां अफवाहों को लेकर सबसे ज्यादा परेशान थीं। हर मीङ्क्षटग में यह अहम पहलू होता था। एनएसजी, एटीएस, पैरामिलिट्री का पहरा लगाने के बाद भी अफसर अफवाहों पर काबू पाने की मशक्कत करते रहे। एक अफवाह पूरे मेले में अफरातफरी मचा सकती है, लाखों की भीड़ के बीच एक शरारत भगदड़ मचा सकती है। इसे लेकर इस बार गोपनीय प्लाङ्क्षनग बनाई गई थी।
पुलिस व खुफिया विभाग ने यह की थी तैयारी
संगम पर खुफिया और पुलिस की एक दर्जन टीमें गोपनीय ड्यूटी कर रही थीं। उनके पास और कोई काम नहीं था, बस उन्हें श्रद्धालुओं के बीच घूमना, कौन क्या बोला, इस पर गौर करना और तुरंत जवाब देना था। ये टीम मेले में घूमकर श्रद्धालुओं को यही बताती रही कि हर जगह सब ठीक चल रहा है। कहीं कोई परेशानी नहीं है। किसी महिला ने बताया वहां लावारिस बैग पड़ा है तो टीम के सदस्यों ने तुरंत जवाब दिया, हां उठा लिया गया। फिर धीरे से दो सदस्य बैग की तरफ बढ़ जाते, ऐसा इसलिए किया गया कि किसी तरह की दहशत न फैले।