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युवाओं में दिखा फ‌र्स्ट डे-फ‌र्स्ट शो सरीखा जोश

जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान युवाओं में फ‌र्स्ट डे-फ‌र्स्ट शौ सरीखा जोश दिखा। इस अवसर पर शहर की भी जानी मानी हस्तियां मौजूद रहीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 06:04 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 06:04 AM (IST)
युवाओं में दिखा फ‌र्स्ट डे-फ‌र्स्ट शो सरीखा जोश
युवाओं में दिखा फ‌र्स्ट डे-फ‌र्स्ट शो सरीखा जोश

जासं, इलाहाबाद : किसी सुपरहिट फिल्म के फ‌र्स्ट डे फ‌र्स्ट शो का नजारा सोचिए कैसा होता है? टिकट नहीं मिला तो ब्लैक में ही टिकट पा लेने की ख्वाहिश। युवाओं में खास मारामारी रहती है। न सीट मिले तो कहीं कोने में भी बैठकर फिल्म का लुत्फ उठाना। कुछ ऐसा ही नजारा जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान पैलेस सिनेमा हाल में नजर आया।

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जहां शहर की जानी मानी हस्तियां तो मौजूद थी हीं, युवाओं की भारी तादाद थी। शाम साढ़े पांच बजे तक तकरीबन अकेलेपन से जूझ रहे सिनेमाहाल में इसके बाद चहलकदमी बढ़ी। धीरे-धीरे युवाओं के जत्थे वहां पहुंचने लगे। कई तो ऐसे भी पहुंचे जिनके पास पास नहीं था। इनमें से कुछ निराश लौटे तो कई ऐसे थे, जिन्होंने सीढ़ी पर बैठकर फिल्म देखना स्वीकार कर लिया। फेस्टिवल की पहली फिल्म द पोस्ट को देखने आए युवा बेहद तन्मयता से पूरी फिल्म देखते रहे और चर्चा करते रहे कि कल फिर आएंगे। आखिर यहां प्रसिद्ध सिने स्टार यशपाल शर्मा से दो बातें करने का मौका क्यों चूक जाएं ये इलाहाबादी। इसके साथ ही उन्हें एक्टिंग से लेकर लाइट कैमरा एक्शन की बारीकियां सीखने का अनुभव भी तो हासिल करना है। नीरज के आगाज और अवसान की कथा भी सुनी

इलाहाबाद : जागरण फिल्म फेस्टिवल की शुरूआत से एक दिन पहले ही गीतों के राजकुमार गोपालदास नीरज ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इसलिए शो शुरू होने से पहले उन्हें हॉल में श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर नीरज के व्यक्तित्व, कृतित्व और जीवन संघर्ष का परिचय भी दिया गया। इटावा में चार जनवरी 1925 को जन्मे नीरज का असली नाम गोपालदास सक्सेना था। छह साल की उम्र में पिता चल बसे और बचपन बेहद गरीबी में बीता। हाईस्कूल की पढ़ाई तो उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास कर ली, लेकिन परिवार की हालत देख उन्होंने कचहरी में टाइपिस्ट की नौकरी कर ली। फिर एक सिनेमाघर में नौकरी की, यहां से दिल्ली गए और वहां से नौकरी छूटने पर कानपुर लौट आए। यहां भी डीएवी कॉलेज में क्लर्क से लेकर कई नौकरियां कीं। इस दौरान प्राइवेट तौर पर स्नातक और फिर ¨हदी साहित्य में परास्नातक की डिग्री भी ली। फिर मेरठ कॉलेज में प्रवक्ता हो गए। कॉलेज प्रशासन ने उन पर रोमांस का आरोप लगाया तो खफा होकर नौकरी छोड़ दी और अलीगढ़ के धर्मसमाज कॉलेज में ¨हदी विभाग के प्राध्यापक बन गए। इस बीच उनके मन का कलाकार बड़ा आकार लेता गया। कवि सम्मेलन उनके बिना अधूरे से लगने लगे। फिल्मी दुनिया ने उन्हें पुकारा तो वहां भी उनके गीतों ने धूम मचा दी। मेरा नाम जोकर का ऐ भाई जरा देख के चलो जैसा खिलंदड़ गीत लिखा तो कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे जैसा हरदिल अजीज गीत भी उन्होंने रचा। उन्हें श्रद्धांजलि देते समय हाल में मौजूद हर शख्स की जुबां पर उनके इस गीत की पंक्तियां बरबस टहल गई और सबने नम आंखों से उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। फेस्टिवल का सफरनामा दर्शनीय

पैलेस सिनेमाहाल में इंट्री करते ही जागरण फिल्म फेस्टिवल के आठ साल का सफर भी नजर आया। जिसे शहर के लोग देखते रहे। स्टैंडी में लगी इन आयोजनों की तस्वीरों में कई लोग अपने चेहरे तलाशते रहे और बताते रहे कि उन्होंने कौन कौन से फेस्टिवल में हिस्सा लिया। आज आएंगे कैबिनेट मंत्री मोती सिंह

जागरण फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रदेश के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह के हाथों होगा। कैबिनेट मंत्री सुबह दस बजे फेस्टिवल में प्रतिभाग करेंगे। यहां से करीब 12 बजे वे हनुमान मंदिर संगम तट के लिए रवाना होंगे।


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