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राज्य विवि : प्रायोगिक परीक्षा में 75 फीसद अंक बाध्यता खत्म करने को अंतिम मुहर Prayagraj News

प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय में कार्य परिषद की बैठक हुई। इसमें अहम फैसले लिए गए। इसके तहत प्रायोगिक परीक्षा में 75 फीसद अंक बाध्‍यता समाप्‍त कर दी गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 10:35 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 10:35 AM (IST)
राज्य विवि : प्रायोगिक परीक्षा में 75 फीसद अंक बाध्यता खत्म करने को अंतिम मुहर Prayagraj News
राज्य विवि : प्रायोगिक परीक्षा में 75 फीसद अंक बाध्यता खत्म करने को अंतिम मुहर Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय ने प्रायोगिक परीक्षा में अधिकतम 75 फीसद अंक ही देने की बाध्यता खत्म कर दी।  कार्य परिषद की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लग गई है। इसके अलावा स्नातक की वार्षिक परीक्षा में एक प्रश्नपत्र वैकल्पिक होने पर भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

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प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विवि में मानक 75 फीसद का तय था

प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय की ओर से 30 अंक के प्रैक्टिकल और 20 अंक के आंतरिक परीक्षाओं में 75 फीसद अंक का मानक तय किया गया था। इसके मुताबिक किसी भी छात्र को 75 फीसद से अधिक अंक नहीं दिया जाना था। यदि किसी छात्र को इससे अधिक अंक दिया जाता तो विश्वविद्यालय की ओर से उस छात्र की कॉपी का दोबारा मूल्यांकन करने का नियम तय था। यह मसला पिछले दिनों हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में प्रमुखता से उठा। इसके अलावा स्नातक के तहत बीए, बीकॉम और बीएससी की वार्षिक परीक्षाओं में एक प्रश्नपत्र वैकल्पिक होने पर भी अंतिम मुहर लग गई। किसी भी सदस्य ने इसका विरोध नहीं किया।

राज्य विवि की उप कुलसचिव ने कहा

राज्य विवि की उप कुलसचिव दीप्ति मिश्र ने बताया कि अब यदि किसी छात्र को 85 फीसद अथवा उससे अधिक अंक मिलता है तो विवि प्रशासन दोबारा मूल्यांकन के लिए कॉपी मंगा सकता है। इस पर भी सदस्यों ने सर्वसम्मति से सहमति जताई है। इसके अलावा सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से विश्वविद्यालय के लोगो में बदलाव किए जाने पर भी मुहर लगाई। विवि के लोगो में संस्कृत और अंग्रेजी में लिखे गए सूक्त वाक्य में अब अंग्रेजी को हटा दिया जाएगा। वहीं, पूर्व में वाणिज्य विभाग के हुए साक्षात्कार का लिफाफा किसी कारण से नहीं खुल सका।


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