Allahabad University के दामन पर अब फीस घोटाले का दाग, फोटोग्राफी विभाग के वोकेशनल खाते से 88 लाख रुपये गायब
लैब से जुड़े कार्यों में व्यय होने वाली यह रकम केवल वित्त अधिकारी और विभागाध्यक्ष ही निकाल सकते हैं। मार्च 2021 में अचानक खाते से पूरी धनराशि ही गायब हो गई। इविवि के प्रशासनिक अफसरों में भी खलबली मच गई। अब मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है।
प्रयागराज, गुरुदीप त्रिपाठी। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में वित्तीय अनियमितता का नया मामला सामने आया है। यह फीस में 88 लाख रुपये के हेरफेर का है। रकम फाइलों और कागजों में उलझाकर कौन हजम कर गया? इविवि प्रशासन ने अब इसकी जांच भी शुरू कर दी है।
मंत्रालय और यूजीसी के अलावा कुलपति से की गई शिकायत
इस प्रकरण की शिकायत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव से की गई है। इविवि में वर्ष 1936 में फोटोग्राफी विभाग खुला। तब सर्टिफिकेट स्तर की शिक्षा व्यवस्था शुरू की गई थी। फिर 1937 में डिप्लोमा और 1995 में डिग्री स्तर के पाठ्यक्रम के संचालन को मंजूरी मिली थी। इसी बीच 2012 में कार्य परिषद की बैठक में फोटोग्राफी को अलग से विभाग बनने पर मुहर लगी। अचानक वर्ष 2019 में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने फोटोग्राफी विभाग बंद करने का फैसला ले लिया। साथ ही यहां कार्य कर रहे कर्मचारियों को दूसरे विभागों से संबद्ध कर दिया गया। जब सत्र 2020-21 में छात्रों को प्रवेश नहीं दिया गया तो मामले में दो दिन पहले यूजीसी ने इविवि प्रशासन से जवाब तलब कर लिया। इसी बीच फोटोग्राफी विभाग फीस घोटाले के गंभीर आरोप से घिर गया।
ब्यौरा फोटोग्राफी अनुभाग में रखा जाता है
कुलपति को भेजे गए पत्र में विभाग के ही एक कर्मचारी ने बताया कि वर्ष 1995 से 2020 तक डिग्री कोर्स के छात्रों से प्रतिवर्ष दो हजार रुपये का बैंक ड्रॉफ्ट वित्त अधिकारी के नाम पर लिया जाता रहा है। यह धनराशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) के इविवि शाखा में फोटोग्राफी वोकेशनल खाते में जमा किए जाते थे। इसका पूरा ब्यौरा फोटोग्राफी अनुभाग में रखा जाता है। लैब से जुड़े कार्यों में व्यय होने वाली यह रकम केवल वित्त अधिकारी और विभागाध्यक्ष ही निकाल सकते हैं। मार्च 2021 में अचानक खाते से पूरी धनराशि ही गायब हो गई। जब मामले की शिकायत की गई तो इविवि के प्रशासनिक अफसरों में भी खलबली मच गई। अब मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है।
फोटोग्राफी विभाग में वित्तीय अनियमितता के संदर्भ में एक पत्र प्राप्त हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन इसकी जांच कर रहा है। जांच के बाद ही इस प्रकरण में कुछ कहा जा सकता है।
- डा. जया कपूर, पीआरओ।