प्रतापगढ़ में नदियों के तटवर्ती मोहल्लों में डेंगू फैलने का बना खतरा
मच्छर का लार्वा ठहरे हुए पानी में पनपता है। इसे नष्ट करने के लिए दवा का छिडकाव शुरू किया गया है। विभाग की टीमें सई नदी के तटवर्ती मोहल्लों में दस्तक दे रही हैं। इसमें पुराना आबकारी मोहल्ला है जो सई नदी के करीब है।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ में मौसम बदलते ही संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। खासकर नदियों व तालाबों के किनारे वाले मोहल्लों और गांवों में डेंगू और मलेरिया की आशंका अधिक है। इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगाई गई हैं।
पुलिसकर्मियों में लक्षण से दहशत
जिले में अक्टूबर माह तक डेंगू के दो मामले मिले तो स्वास्थ्य विभाग ने राहत महसूस की। इसी बीच तीन दिन पहले मानधाता क्षेत्र के शनिदेव पुलिस चौकी कुशफरा के कर्मियों में डेंगू के लक्षण पुलिस कर्मियों में पाए गए। दारोगा और सिपाही जांच कराकर घर भी चले गए। इससे वहां के लोगों में डेंगू की दहशत फैल गई। यह चौकी बकुलाही नदी के किनारे है। दैनिक जागरण द्वारा यह मामला उजागर करने पर स्वास्थ्य विभाग को जानकारी हुई। वैसे तो सीएमओ कार्यालय में संक्रामक रोग का विभाग ही अलग से बना है। कंट्रोल रूम भी बनाया गया है, लेकिन इस मामले की भनक अपने आप नहीं पहुंची। बहरहाल यह दो मामला आने के बाद अब विभाग ने तेजी दिखाई है।
दवा का किया जा रहा छिड़काव
मच्छर का लार्वा ठहरे हुए पानी में पनपता है। इसे नष्ट करने के लिए दवा का छिडकाव शुरू किया गया है। विभाग की टीमें सई नदी के तटवर्ती मोहल्लों में दस्तक दे रही हैं। इसमें पुराना आबकारी मोहल्ला है, जो सई नदी के करीब है। अजीत नगर, सदर बाजार भी प्रभावित हो सकता है। यह भी छिडकाव की सूची में शामिल है। टीमों के दस्तक देने के दौरान लोगों के घरों का कूलर जरूर चेक किया जाता है। दरअसल सर्दी की शुरुआत होने से कूलर तो चलना तो बंद हो गया है, लेकिन कई लोग उसका पानी निकालना भूल जाते हैं। इसी ठहरे हुए पानी में मच्छर आबाद होते हैं। जिला मलेरिया अधिकारी राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि छिडकाव बराबर कराया जा रहा है। जहां सूचना मिलती है, वहां टीम भेजकर स्लाइड भी बनवाई जाती है। उन्होंने पुलिस कर्मियों में डेंगू की स्थिति संदिग्ध बताई। यह भी कहा कि इसकी अलग से जांच कराई जा रही है।
केरोसिन भी कारगर
ठहरे हुए पानी को साफ करके उसमें केरोसिन डालने से मच्छर के लार्वा नष्ट हो जाते हैं। पानी चाहे कूलर में हो, छत पर किसी कबाड़ में भरा हो या नाले, नाली में। यह काम हर कोई अपने घर में आसानी से कर सकता है। विभाग भी यह जतन लोगों को बराबर बताता रहता है।