चैत्र नवरात्र में अष्टमी और नवमी के व्रत का मान आज ही
चैत्र नवरात्र की अष्टमी व नवमी तिथि का मान आज है। अष्टमी तिथि शनिवार को सुबह सवा आठ बजे तक है।
By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 07:36 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 10:39 AM (IST)
प्रयागराज : नवरात्र की अष्टमी व नवमी तिथि के व्रत व पूजन का मान आज शनिवार को ही है। ऐसा ज्योतिर्विदों का कहना है। इसे लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति नहीं होनी चाहिए। शनिवार की सुबह 8.16 बजे तक ही अष्टमी तिथि का मान रहेगी।
कहते हैं ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि शनिवार को अष्टमी व नवमी तिथि का व्रत रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि अष्टमी तिथि शुक्रवार की सुबह 10.17 बजे लगकर शनिवार की सुबह 8.16 बजे तक रहेगी। जबकि शनिवार को सूर्योदय 5.43 बजे होगा। अष्टमी समाप्त होते ही शनिवार की सुबह 8.17 बजे नवमी तिथि लग जाएगी जो रविवार की सुबह छह बजे तक रहेगी।
सूर्योदय के बाद तीन घटी तक जो तिथि रहती है दिन का प्रभाव माना जाता है
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि धर्म सिंधु व निर्णय सिंधु के अनुसार सूर्योदय के बाद तीन घटी तक जो तिथि रहती है दिन का प्रभाव माना जाता है। एक घटी 24 मिनट का होता है। रविवार को सूर्योदय 5.42 बजे होगा, इससे नवमी तिथि के लिए एक घटी भी नहीं मिल रही है। जबकि शनिवार को तीन घटी से अधिक का समय मिल रहा है।
देवी मंदिरों में आस्था और उल्लास का माहौल
देवी मंदिरों में आस्था और उल्लास का माहौल चैत्र नवरात्र में देवी मंदिरों में सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ जुटी रहती है। मां दुर्गा के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो उठा है। हर ओर आस्था का माहौल है। मां दुर्गा के नित नए स्वरूप का श्रृंगार दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़े हैं। मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी सहित हर सिद्धपीठ मंदिरों में सिर पर लाल चुनरी बांधे, मन में शांति का भाव लिए भारी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। व्रती साधकों ने देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया। उनके पांव में महावर लगाकर उन्हें मिष्ठान व फल खिलाया, फिर दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया।
मध्यरात्रि में मां काली की महानिशा पूजा हुई
शुक्रवार की सुबह अष्टमी तिथि लगने की वजह से देवी मंदिरों में मध्यरात्रि में मां काली की महानिशा पूजा हुई। मध्यरात्रि से भोर तक मां काली की साधना की गई। मां ललिता के स्वरूप ने किया मोहित सिद्धपीठ मां ललिता देवी मंदिर में भक्तों ने मां का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। स्वर्ण आभूषणों व रत्नों से पुजारी शिवमूरत मिश्र 'राजा पंडित' ने कालरात्रि स्वरूप का मोहक श्रृंगार किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा, महामंत्री धीरज नागर, सुमित श्रीवास्तव, महेंद्र मालवीय, सल्टू यादव, आदि ने शतचड़ी यज्ञ में आहुतियां डालीं।
बहुरंगी पुष्पों से सजीं कल्याणी प्रयागराज
सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। बहुरंगी पुष्पों व आभूषणों से मां का श्रृंगार हुआ। सुशील पाठक व श्यामजी पाठक ने मंत्रोच्चार के बीच मां का अभिषेक व पूजन किया। जनकल्याण को मइया की महाआरती उतारी गई। मां कल्याणी के दर्शन को हजारों भक्तों का ताता लगा रहा। जयकारों से गूंज उठा दरबार मां शक्ति की आराधना का प्रमुख स्थल अलोपशंकरी मंदिर में दिनभर भक्तों की भीड़ जुटी रही। भक्तों ने मां के पालने में पुष्प, नारियल, फल व चुनरी अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया। परिसर में सुबह से लेकर देर रात तक शतचंडी यज्ञ हुआ जिसें भक्तों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। निशान चढ़ाने के साथ बच्चों का नामकरण, मुंडन कराया।
कहते हैं ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि शनिवार को अष्टमी व नवमी तिथि का व्रत रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि अष्टमी तिथि शुक्रवार की सुबह 10.17 बजे लगकर शनिवार की सुबह 8.16 बजे तक रहेगी। जबकि शनिवार को सूर्योदय 5.43 बजे होगा। अष्टमी समाप्त होते ही शनिवार की सुबह 8.17 बजे नवमी तिथि लग जाएगी जो रविवार की सुबह छह बजे तक रहेगी।
सूर्योदय के बाद तीन घटी तक जो तिथि रहती है दिन का प्रभाव माना जाता है
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि धर्म सिंधु व निर्णय सिंधु के अनुसार सूर्योदय के बाद तीन घटी तक जो तिथि रहती है दिन का प्रभाव माना जाता है। एक घटी 24 मिनट का होता है। रविवार को सूर्योदय 5.42 बजे होगा, इससे नवमी तिथि के लिए एक घटी भी नहीं मिल रही है। जबकि शनिवार को तीन घटी से अधिक का समय मिल रहा है।
देवी मंदिरों में आस्था और उल्लास का माहौल
देवी मंदिरों में आस्था और उल्लास का माहौल चैत्र नवरात्र में देवी मंदिरों में सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ जुटी रहती है। मां दुर्गा के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो उठा है। हर ओर आस्था का माहौल है। मां दुर्गा के नित नए स्वरूप का श्रृंगार दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़े हैं। मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी सहित हर सिद्धपीठ मंदिरों में सिर पर लाल चुनरी बांधे, मन में शांति का भाव लिए भारी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। व्रती साधकों ने देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया। उनके पांव में महावर लगाकर उन्हें मिष्ठान व फल खिलाया, फिर दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया।
मध्यरात्रि में मां काली की महानिशा पूजा हुई
शुक्रवार की सुबह अष्टमी तिथि लगने की वजह से देवी मंदिरों में मध्यरात्रि में मां काली की महानिशा पूजा हुई। मध्यरात्रि से भोर तक मां काली की साधना की गई। मां ललिता के स्वरूप ने किया मोहित सिद्धपीठ मां ललिता देवी मंदिर में भक्तों ने मां का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। स्वर्ण आभूषणों व रत्नों से पुजारी शिवमूरत मिश्र 'राजा पंडित' ने कालरात्रि स्वरूप का मोहक श्रृंगार किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा, महामंत्री धीरज नागर, सुमित श्रीवास्तव, महेंद्र मालवीय, सल्टू यादव, आदि ने शतचड़ी यज्ञ में आहुतियां डालीं।
बहुरंगी पुष्पों से सजीं कल्याणी प्रयागराज
सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। बहुरंगी पुष्पों व आभूषणों से मां का श्रृंगार हुआ। सुशील पाठक व श्यामजी पाठक ने मंत्रोच्चार के बीच मां का अभिषेक व पूजन किया। जनकल्याण को मइया की महाआरती उतारी गई। मां कल्याणी के दर्शन को हजारों भक्तों का ताता लगा रहा। जयकारों से गूंज उठा दरबार मां शक्ति की आराधना का प्रमुख स्थल अलोपशंकरी मंदिर में दिनभर भक्तों की भीड़ जुटी रही। भक्तों ने मां के पालने में पुष्प, नारियल, फल व चुनरी अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया। परिसर में सुबह से लेकर देर रात तक शतचंडी यज्ञ हुआ जिसें भक्तों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। निशान चढ़ाने के साथ बच्चों का नामकरण, मुंडन कराया।
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