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Lockdown 4.0 : मेहनत+10 हजार लागत=कमाई 2 हजार, यही गणित है सब्जियों की खेती की Prayagraj News

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। लॉकडाउन में हरी सब्जियों के दाम गिरने से अन्नदाता परेशान हैं। होटल व रेस्टोरेंट बंद होने व वैवाहिक कार्यक्रम न होने से सब्जियों के रेट घटे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 08:45 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 08:45 AM (IST)
Lockdown 4.0 : मेहनत+10 हजार लागत=कमाई 2 हजार, यही गणित है सब्जियों की खेती की Prayagraj News
Lockdown 4.0 : मेहनत+10 हजार लागत=कमाई 2 हजार, यही गणित है सब्जियों की खेती की Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है। होटल व रेस्टोरेंट बंद होने व वैवाहिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में सब्जियों का रेट अर्श से फर्श पर आ गया है। भारी लागत व कड़ी मेहनत से सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को उनकी गाढ़ी कमाई का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। इससे अन्नदाता खून के आंसू रोने पर विवश हैं। किसानों की लागत तो छोडि़ए, उनकी मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है। इसके चलते किसान अब खेत में बोई गई सब्जियों की जुताई कर धान की तैयारी में जुट गए हैं।

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फूलपुर के कई गांव के किसान सब्जियों की खेती पर ही हैं निर्भर

विकास खंड फूलपुर में कई गांव ऐसे हैं, जहां के किसान सब्जियों की खेती पर ही निर्भर हैं। ग्राम सभा सेमरी के किसान हरगेंद्र पटेल, बाबूजी पटेल, सुरेंद्र बहादुर पटेल आदि किसान खीरा की खेती किए हुए थे। बाजार में खीरा का भाव गिर जाने से उनकी लागत व मजदूरी भी नहीं आ रही है। ऐसे में किसान अब खेतों की जुताई करके धान की रोपाई की तैयारी में जुट गए हैं। इसी प्रकार रमाशंकर पटेल 10 बिस्वा बैगन की खेती किए हुए थे। उन्होंने भी खेत की जुताई करके अन्य फसल की तैयारी में जुट गए हैं।

खून-पसीने की मेहनत बेकार न जाए, इसलिए आस नहीं छोड़ी

राजपत पटेल ने 10 बिस्वा में नेनुआ की खेती कर रखी थी। उनका कहना है कि खून-पसीने की मेहनत बेकार न जाए, इसलिए आस नहीं छोड़ी, बस लगे हुए हैं। हालांकि मंडियों में जाने पर औने-पौने दाम में बेच कर आना पड़ रहा है। किसान राम सजीवन पटेल ने 15 बिस्वा टमाटर की खेती की है, जिसमें लागत 10 हजार रुपये आई थी। उसके एवज में अब तक दो हजार की बिक्री मुश्किल से हो सकी। इसी तरह सुरेश पटेल ने पत्ता गोभी की खेती 10 बिस्वा में 20 हजार की लागत से की थी।  लॉकडाउन के चलते मांग न होने से एकदम से रेट गिर गया। अब वह भी जुताई करके अन्य फसल की तैयारी में लग गए हैं।

कद्दू की कीमत गिरी तो धान की नर्सरी डालने लगे

बगई खुर्द गांव निवासी विजय कुमार यादव डेढ़ बीघे में कद्दू की खेती किए हुए थे। फसल तैयार करने में लागत लगभग 15 हजार आई हुई थी लेकिन कद्दू की कीमत गिरने से खेत की जुताई करके धान की नर्सरी डालने की तैयारी में लग गए हैं। इसी प्रकार रामनाथ पट्टी गांव निवासी  छोटेलाल पाल ने भी नेनुआ की खेती की हुई है, जिसमें लागत बमुश्किल ना आने के कारण अन्य खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं।

लॉकडाउन में सब्जियां दूरदराज की मंडियों में नहीं जा सकी

देवनहरी गांव निवासी राजकिशोर पाल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते किसानों की सब्जियां अन्य दूरदराज की मंडियों में नहीं जा पाईं। इसके कारण भाव इतना गिर गया कि उनकी मजदूरी आना भी मुश्किल हो गया है। किसान मानिक चंद पटेल ने बताया कि लॉकडाउन के चलते  वैवाहिक कार्यक्रम से लेकर सभी सार्वजनिक कार्यक्रम बंद हैं। शहर में होटल व रेस्टोरेंट भी बंद हैं। इसके कारण मांग नहीं होने कारण भी सब्जियों के भाव गिरे हैं।

सब्जियों के थोक रेट (कुंतल में)

आलू       1800 रुपये

भिंडी       600 रुपये

नेनुआ     500 रुपये

करेला      600 रुपये

बैगन      2000 रुपये

कद्दू        300 रुपये

प्याज     800 रुपये

मिर्च      1800 रुपये

टमाटर   800 रुपये

खीरा      500 रुपये।


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