Economic Package : लॉकडाउन के चलते खेती ठप थी, परेशान किसानों को मिली संजीवनी Prayagraj News
करछना के शिवमंगल का कहना है कि किसानों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने जो कदम उठाए हैैं उससे उम्मीद जगी है कि स्थितियां अब बेहतर होंगी।
प्रयागराज, जेएनएन। लॉकडाउन में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। एक तो मौसम की बेरुखी, ऊपर से महानगर में कमाने गए परिवार के सदस्य भी खाली हाथ लौट आए हैं। कोरोना वायरस के संकट ने जिस तरह से किसानों की दुश्वारियां बढ़ाई हैैं, उसको देखते हुए सरकार ने मदद के लिए अहम कदम उठाए हैैं। इससे न सिर्फ अन्नदाता की उम्मीदें बढ़ गई हैैं बल्कि वे इस आशा में हैैं कि उनकी हालत में अपेक्षित सुधार होगा।
किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
करछना के किसान विनोद कुमार का कहना है कि क्रेडिट कार्ड से लेकर ऋण तक की व्यवस्था करने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। करछना के ही शिवमंगल का कहना है कि किसानों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने जो कदम उठाए हैैं, उससे उम्मीद जगी है कि स्थितियां अब बेहतर होंगी, क्योंकि लॉकडाउन से सबसे ज्यादा किसानों को ही नुकसान हुआ है। जारी के किसान विक्रम कुमार का कहना है कि सरकार के प्रयास से निश्चित तौर पर अच्छे दिन आएंगे। केसीसी से किसान सिर्फ खेती ही नहीं मत्स्य पालन, पशु व मधुमक्खी पालन भी कर सकेंगे। कर्ज लेकर किसान अपनी आजीविका भी शुरू कर सकेंगे।
हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा
हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोलानाथ तिवारी का कहना है कि सरकार ने मजदूरों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। उससे यहां के मजदूरों को क्या काम मिलेगा। प्रदेश में मनरेगा के अलावा कौन सा ऐसा काम है जिसमें मजदूरों को लगाया जा सकता है। यहां कोई औद्योगिक इकाइयां इस तरह ही नहीं हैं, जिसमें मजदूरों को काम मिल सके। इसलिए पहले काम देने का प्रबंध किया जाए।
बोले, दिहाड़ी मजदूर संगठन के मंडल प्रभारी
दिहाड़ी मजदूर संगठन के मंडल प्रभारी अरुण कुमार शर्मा का कहना है कि मजदूरों की मुख्य समस्या जो वह पैदल आ रहे हैं। सरकार पहले उसका इंतजाम करे। मनरेगा में उन मजदूरों को काम मिल रहा है जो ग्राम प्रधानों के खास हैं और जिनके जॉबकार्ड एक्टिवेट हुए हैं। सभी मजदूरों को 1000 रुपये की आॢथक सहायता भी नहीं मिली। जिनके पंजीयन साल भर में रिन्यूअल नहीं हुए, उनको लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए सरकार जो भी प्रावधान करे, उसका लाभ सभी मजदूरों को मिले।