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प्रयागराज की वरिष्ठ रंगकर्मी पूजा ठाकुर का निधन, मुंबई में हुआ अंतिम संस्कार

युवावस्था से ही अभिनय मे रुचि थी। नंदू ठाकुर से विवाह हो जाने के बाद उनकी ये अभिरुचि परवान चढ़ी और उन्हों ने सैकड़ों यादगार प्रस्तुतियां दीं। आकाशवाणी से भी भरपूर जुड़ाव रहा और महिलाओं के कार्यक्रम के साथ साथ अनेक नाटकों में जान फूँक दी।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 08:08 PM (IST)
प्रयागराज की वरिष्ठ रंगकर्मी पूजा ठाकुर का निधन, मुंबई में हुआ अंतिम संस्कार
रंगमंच की सशक्त हस्ताक्षर पूजा ठाकुर का गुरुवार रात निधन हो गया ।

प्रयागराज, जेएनएन।  दमदार अभिनय, हृदयस्पर्शी संवाद व अद्भुत भावभंगिमा के जरिए मंच पर द्रोपदी का पात्र जीवंत करके ख्याति अर्जित करने वाली रंगकर्मी पूजा ठाकुर चिरनिद्रा में सो गईं। शुक्रवार की भोर मुंबई के एक चिकित्सालय में उनका निधन हो गया। परिवारीजनों ने मुंबई में उनका अंतिम संस्कार कर दिया। पूजा के निधन से रंगकर्मी स्तब्ध हैं। हर कोई उनके मिलनसार स्वभाव व अभिनय को याद कर रहा है।

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प्रयागराज के रंगकर्म को समृद्ध बनाने में दिया था अहम योगदान

प्रयागराज में 1959 में जन्मीं पूजा ठाकुर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करके रंगमंच से जुड़ गईं। रंग निर्देशक नंदू ठाकुर से विवाह करके उन्होंने स्वयं का जीवन रंगमंच को समर्पित कर दिया। रंगयात्री संस्था के जरिए युवाओं को निर्देशन, अभिनय, संवाद की बारीकियां सिखाने लगीं। नंदू ठाकुर की 1998 में मृत्यु होने के बाद भी पूजा की सक्रियता कम नहीं हुई और राष्ट्रीय नाट्य पर्व नाट्यार्पण जैसा आयोजन अपने दम पर कराया। पूजा ने प्रयागराज सहित अलग-अलग शहरों में 50 से अधिक नाटकों में अभिनय किया था। सत्यव्रत राउत के निर्देशन में एनएसडी में मंचित नाटक 'कर्ण कथाÓ में पूजा ने द्रोपदी का पात्र निभाकर सुर्खियां बटोरी थी। उन्हें हर कोई द्रोपदी के नाम से पुकारने लगा था। कर्ण कथा का मंचन कई शहरों में कराया गया। सुबोध सिंह के निर्देशन में 'बेटों वाली विधवाÓ नाटक में असहाय मां की भूमिका निभाकर वाहवाही लूटी थीं।

यह नाटक रहे चर्चित

वरिष्ठ रंगकर्मी अभिलाष नारायण बताते हैं कि पूजा ठाकुर रंगमंच के साथ आकाशवाणी की लोकप्रिय कलाकार थीं। उनका एकल नाटक 'ये कठपुतली अलबेली, हजार चौरासी की मां, अपना अपना दर्द, हेमलेट, कुमार की छत पर, बांछा राम की बगिया, कहानी घर-घर की, द डेयरिंग फैंटेसी चर्चित रहे।

भाभी के जाने का गम

वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौतिक ने कहा कि नंदू ठाकुर व पूजा ठाकुर ने मिलकर प्रयागराज के रंगमंच को सुदृण बनाया था। यही कारण है कि पूजा ठाकुर रंगमंचीय भाभी बन गयी थीं। निर्देशक सुबोध सिंह बताते हैं कि पूजा ठाकुर के निधन से प्रयागराज के रंगमंच के शून्यता की स्थिति में आने जैसा है।

एक माह पहले गई थीं मुंबई

पूजा ठाकुर मम्फोर्डगंज मोहल्ला स्थित आवास में बेटे अंबर के साथ रहती थीं। वो एक माह पहले बेटी गौरी के पास मुंबई गई थीं। उनका निधन होने पर अंबर भी मुंबई चले गए हैं


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