सोरांव सामूहिक हत्याकांड : हैदराबाद की तरह दरिंदों को यहां भी मिलनी चाहिए मौत Prayagraj News
सोरांव हत्याकांड से पीडि़त परिवार के सदस्यों के साथ करीबियों में काफी गुस्सा है। ऐसे घृणित वारदात को अंजाम देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है।
प्रयागराज, जेएनएन। वे इंसान नहीं जल्लाद थे, जिन्होंने मासूम और बेकसूर बच्चों की गर्दन रेत दी। अबोध बच्चों समेत पांच लोगों को इस तरह से सोते में क्रूरता से मारने वाले हैवान हैैं, उन्हें भी जिंदा जला या मार देना चाहिए। मारे गए लोगों के परिवार तथा रिश्ते के लोगों के साथ ही करीबी भी गम और गुस्से में यहीं कही बात जुबां पर आ रही है। वे कहते हैं कि हैदराबाद की तरह दङ्क्षरदों को यहां भी मौत मिलनी चाहिए।
सोनी के पिता कहते हैं कि वे इंसान नहीं हैैं, जल्लाद हैैं जल्लाद...
प्रतापगढ़ स्थित मृतका सोनी तिवारी के पिता सुधाकर तिवारी बीमारी से कमजोर होने की वजह से ज्यादा बोल भी नहीं पा रहे हैं। ऊपर से बेटी-दामाद, दो मासूम नाती कान्हा तथा कुंज और समधी विजय शंकर की हत्या का गम भी उन्हें मथे डाल रहा था। वह बैठे बिलखते रहे। मीडिया से बोलते हैं- वे इंसान नहीं हैैं, जल्लाद हैैं जल्लाद। उन्हें भी ऐसी सजा मिले कि ऐसी निर्दयता करने वालों को सबक मिले। उन्हें मारने की बजाय हाथ-पैर काटकर छोड़ देना चाहिए ताकि जिंदगी भर कराहते हुए प्रायश्चित करते रहें। बताओ भला बच्चों ने किसी का क्या बिगाड़ा था, वे मासूम तो अपने मां-बाप के पास गहरी नींद में सो रहे थे। उनकी भी गर्दन रेत डाली। ऐसे लोगों को इस समाज में रहने का अधिकार नहीं है।
परिवार के अन्य सदस्यों के चेहरे पर भी कातिलों के लिए नफरत के भाव
बच्चों की नानी लक्ष्मी तिवारी, मामा कार्तिकेय तिवारी, सोनी की चाची, मामा संजय मिश्र सभी के चेहरे पर गम के साथ कातिलों के लिए आक्रोश और नफरत झलक हैं। सब कह रहे हैं कि हैदराबाद पुलिस की तरह यहां भी दङ्क्षरदों को वैसी मौत मिलनी चाहिए। ऐसे लोगों को एक पल भी जिंदा छोडऩा नहीं चाहिए। हद कर दी बेरहमी की, क्रूरता की, निर्दयता की। बच्चों के मामा कार्तिकेय तिवारी ने कहा कि मिल जाएं तो सबके सामने इन कातिलों को काट डालूं। मेरे प्यारे भांजों को ऐसे मार डाला कि दिल कांप रहा है सोचकर। पुलिस अधिकारी और कुछ रिश्तेदार इन्हें समझाते और शांत कराते रहे।
सदमे में बेसुध हो रहीं मोनू और लक्ष्मी
एक झटके में परिवार का खात्मा कर दिए जाने से मृतक विजय शंकर तिवारी के छोटे पुत्र मोनू तिवारी को गहरा सदमा लगा है। सूरत से ट्रेन में आने के बाद पोस्टमार्टम हाउस पहुंचते ही मोनू परिवार के लोगों के गले लगकर रोने लगा। वह अचानक मूर्छित होकर गिरा तो परिवार के युवाओं ने उसे संभाला। बैठाकर पानी के छींटे मारे। फिर उसे दो लोग आखिर तक सहारा देते रहे। मासूम बच्चों की नानी लक्ष्मी तिवारी की और भी खराब हालत थी। वह भी रविवार दोपहर से ही लगातार रोती रही हैैं। वह बार-बार कान्हा और कुंज का नाम लेकर विलाप कर रही हैं। अब कौन हमको नानी कहेगा, हाय रे मेरा करेजा, मेरा दुलारा नाती कान्हा, मेरी बिटिया सोनी... कौन मार डाला इन सबको को, उन सबको भी जिंदा जला डालो, हाथ न कांपे मारते हुए...। लक्ष्मी कई बार रोते हुए बेसुध हो जा रही हैं।
पोस्टमार्टम से भी दङ्क्षरदगी उजागर
रविवार आधी रात शवों का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के दो डॉक्टरों के पैनल ने किया। डॉक्टर भी दङ्क्षरदगी देख स्तब्ध थे। विजय शंकर तिवारी, बेटे सोनू, बहू सोनी और छोटे पोते कुंज की गर्दन पर गहरा कट था। विजय शंकर पर पीछे से कुल्हाड़ी से वार किया गया था। कान्हा के सिर और चेहरे पर भी गहरे घाव थे। सोनी के साथ दुव्र्यवहार की आशंका थी लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को शरीर पर ऐसे कोई लक्षण नहीं मिले।