संत-सत्संग भी नहीं बचा सकी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति हांगलू की कुर्सी Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्याल के कुलपति हांगलू के इस्तीफे को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाद राष्ट्रपति ने स्वीकारा। हांगलू ने कुर्सी बचाने को पुरजोर कोशिश की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। विवादों से चोली-दामन जैसा रिश्ता रखने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के कुलपति रहे प्रोफेसर रतन लाल हांगलू को आखिरकार कुर्सी से हाथ धोना ही पड़ा। सारे कूटनीतिक दांव-पेच आजमाने के बाद भी जब राहत नहीं मिली तो उन्होंने संतों और सत्संग की भी शरण ली थी। यह बात और है कि उसके बाद भी उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा और राष्ट्रपति ने उसे मंजूर भी कर लिया।
हांगलू की मुसीबतें बढ़ी तो करीबियों ने धर्म के प्रति आस्था की सलाह दी
वित्तीय अनियमितता और महिला उत्पीडऩ के आरोपों से घिरे प्रोफेसर हांगलू की मुसीबतें जब बढ़ीं तो विश्वविद्यालय के ही उनके करीबियों ने उन्हें धर्म के प्रति आस्था बढ़ाने की सलाह दी। ऐसे में कुर्सी बचाने के लिए वह जाने-माने संतों से तो मिले ही, चित्रकूट में कामतानाथ की परिक्रमा भी की थी। इस दौरान उन्होंने वहां के एक जाने-माने संत के पास जाकर कुर्सी बचाने के लिए आशीर्वाद भी लिया था। कई सत्संग और श्रीमद्भागवत कथा में भी वे शामिल हुए। इतना ही नहीं, विदेश में भी संतों के पास जाकर माथा टेका।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस्तीफा मंजूर कर हागलू को कार्यमुक्त किया
इविवि के छात्रनेता तो पहले से ही उनके खिलाफ थे लेकिन इस बार प्रशासनिक तेवर भी चढ़ जाना भारी पड़ गया। फंसने पर बचने का कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने अपने जन्मदिन से एक दिन पहले एक जनवरी को गुपचुप तरीके से अपना इस्तीफा मंत्रालय को सौंप दिया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के जानकारों का दावा है कि प्रो. हांगलू की कार्यशैली से मंत्रालय इतना खफा था कि उनके इस्तीफे की पेशकश मिलते ही फौरन मंजूरी देकर राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी देरी न करते हुए शुक्रवार को इस्तीफा मंजूर कर उन्हें इविवि के कुलपति पद से कार्यमुक्त कर दिया।