45 बार फोन करने पर भी नहीं मिली मदद, प्रतापगढ़ के दिवंगत सैनिक की पत्नी को सता रही भविष्य की चिंता
उदासीनता की हद यह है कि सशस्त्र सलामी तो दूर उस परिवार को पार्थिव शरीर ले जाने के लिए शव वाहन तक नहीं मिल सका। सराय नानकार के चंद्रलोक सेना में ही थे। वहीं पर कर्तव्य की बलिवेदी पर वह बीमार हुए।
प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। दिवंगत सैनिक चंद्रलोक तिवारी के परिवार के लोगों को उपेक्षा का मलाल है। हर पल उनको अपमान की पीड़ा महसूस हो रही है। साथ ही यह चिंता भी कि परिवार का पालन पोषण कैसे हो पाएगा। सैनिक की पत्नी का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें उनके बहते आंसू सबको मर्माहत कर रहे हैं।
हर तरह से की गई उपेक्षा
उदासीनता की हद यह है कि सशस्त्र सलामी तो दूर उस परिवार को पार्थिव शरीर ले जाने के लिए शव वाहन तक नहीं मिल सका। सराय नानकार के चंद्रलोक सेना में ही थे। वहीं पर कर्तव्य की बलिवेदी पर वह बीमार हुए। उनके आन ड्यूटी निधन पर सरकार क्या मदद करती है यह तो अलग बात है, पर लोकल स्तर पर सैनिक की उपेक्षा होना हर किसी को अखर रहा है। उनके परिवार को गहरा आघात लगा है। अंतिम यात्रा के लिए सरकारी शव वाहन तक न मिलना कई सवाल खड़े करता है। सत्ता पक्ष के लोगों की जुबां पर भी ताला है। कुछ लोग पहुंचे और कुछ मदद की। मगर शहीद सैनिक को उसका हक दिलाने को स्वर नहीं उठे। क्या यह सैनिक सरकारी पुष्प चक्र का भी हकदार नहीं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को सैनिक के पिता ने 45 बार फोन किए। पार्थिव शरीर ले जाने के लिए वाहन तब भी नहीं मिला। कुछ संगठन इस अपमान का विरोध कर रहे हैं। शहीद रीतेश पाल को जो सम्मान मिला वह सराहनीय है, पर चंद्रलोक के लिए कुछ तो घोषणा होती, कुछ तो संवेदना के शब्द मरहम बनते। पिता वीरेंद्र कुमार की आंखों में बेटे को खोने से कहीं अधिक उपेक्षा के आंसू हैं। आखिर सैनिक की पत्नी रुचि तिवारी मासूम बेटे शिवा को क्या समझाए। कैसे बताए कि अब उसके पापा कभी नहीं आएंगे। उसे बड़ी जल्दी अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा। रुचि को बेटे की शिक्षा व लालन-पालन की चिंता सताने लगी है।
सैनिक चंद्रलोक को भी दिया जाए शहीद का दर्जा
देश की सेवा में कर्तव्य निभाते हुए शहादत देने वाले प्रतापगढ के लाल चंद्रलोक तिवारी के साथ भेदभाव हो रहा है। यह बहुत ही अपमानजनक है। यह बात मानव कल्याण सेवा संस्थान की बैठक में मंगलवार को नगर कार्यालय पंजाबी मार्केट में प्रबंधक भाजपा नेता पं. श्याम शंकर पांडेय ने कही। उन्होंने कहा कि चंद्रलोक तिवारी देश की सुरक्षा करने मे शहीद हो गए। उनको भी रीतेश पाल की तरह शहीद का दर्जा सरकार दे। पचास लाख की सहायता राशि और एक सदस्य को नौकरी दी जाय। बैठक की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के संरक्षक पूर्व प्राचार्य दुर्गा प्रसाद शुक्ल महाकाल ने कहा कि सरकार का यह ठीक नहीं। सैनिक की जाति नहीं देखी जाती। जिला उपाध्यक्ष प्रभारी कुंडा सोमनाथ मिश्रा ने कहा कि देश की सेवा मे शहीद हर जवान उतना ही महत्वपूर्ण है। भेदभाव उचित नही। बैठक का संचालन सतीश चंद्र पांडेय बलराम ने किया बैठक में मुख्य रूप से संतोष कुमार पांडेय, उदय खंडेलवाल, देवी प्रसाद शुक्ल, चंद्र कांत मिश्रा आदि लोग रहे।