इंजीनियर की पौत्री आधी दुनिया में भर रहीं आत्मविश्वास का जज्बा
वह इंजीनियर की पौत्री हैं। कृष्णा से कृष्णानंद सरस्वती बन गईं। जंगल में रहती हैं और महिलाओं में आत्म विश्वास का जज्बा भर रही हैं।
प्रयागराज : वह इंजीनियर की पौत्री हैं। कई विषयों की जानकार भी हैं। उनका मिशन नारी को देवी के रूप में पूजने का संदेश देना है। वह भारत में नारियों की दुर्गति से ऐसी चिंतित हुईं कि दुर्गन भवानी धाम को अपना ठिकाना बना लिया।
यह हैं कृष्णानंद सरस्वती, जो लालगंज के प्राचीनतम देवी मंदिर दुर्गन भवानी धाम पर रहती हैं। बाराबंकी जिले की इस साध्वी ने 30 वर्ष की अवस्था में घर बार त्यागा व संन्यासी बन गई। यहां आकर उन्होंने लोगों के सहयोग से दुर्गन भवानी के जीर्णशीर्ण मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अक्षैवर लाल पांडेय की पौत्री कृष्णा कोमल प्रसाद पांडेय की बेटी हैं। वह आदि शक्ति की भक्ति में ऐसे लीन हुईं कि नारी को सम्मान की जिंदगी दिलाना उनका मिशन बन गया।
कृष्णा से बनीं कृष्णानंद सरस्वती :
वीरान जंगल में बने मंदिर में परमहंस स्वामी विवेकानंद सरस्वती महराज के सानिध्य में आकर कृष्णा से कृष्णानंद सरस्वती हो गईं। अंग्रेजी के साथ स्नातक करने वाली साध्वी का मन बचपन से ही भक्ति में लगा रहा। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें आभास हो गया कि सब सुख सुविधा मिथ्या है। कल्याण तो मां आदि शक्ति व कन्हैया की भक्ति में ही है। इनकी भक्ति व शालीनता देख लोग इनको गुरुमाता व दूसरी मीरा के नाम से भी पुकारने लगे। रिटायर होने के बाद उनके इंजीनियर दादा भी दुर्गन धाम आ गए और अचला महराज के रूप में उनके मिशन को सशक्त किए। अब वह नहीं हैं। यही नहीं गुरुमाता के भाई भगवती प्रसाद पांडेय ने अपनी बहन के मिशन को धार देने के लिए चीनी मिल में इलेक्ट्रिक फोरमैन के पद से वीआरएस ले लिया। वह अब यहां लाल बाबा के नाम से जाने जाते हैं।
गुरुमाता के रूप में महिलाओं की बनीं मित्र :
कृष्णावती मंदिर आने वाली महिलाओं को हालात से लडऩा सिखाती हैं। खेत-खलिहानों में काम करने वाली अनपढ़ महिलाओं को वह मां दुर्गा के किस्से सुनाती हैं। उनको अक्षर ज्ञान कराती हैं। गुरुमाता के रूप में वह पीडि़त महिलाओं की मित्र भी हैं। उन्हीं के बीच रमी रहती हैं।