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10 करोड़ के घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ट्रक मालिकों पर भी सकेगा शिकंजा, जांच में सामने आए राज

गोरखपुर जनपद के खोराबार थाने में वाणिज्य कर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर विनय कुमार पांडेय ने 20 नवंबर 2018 को गोल्फ इंटरप्राइजेज के स्वामी अरुण सक्सेना समेत 14 के खिलाफ धोखाधड़ी कूटरचना और कर चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 08:16 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:16 AM (IST)
10 करोड़ के घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ट्रक मालिकों पर भी सकेगा शिकंजा, जांच में सामने आए राज
10 करोड़ के घोटाला मामले में 14 के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना और कर चोरी का केस दर्ज है।

प्रयागराज, जेएनएन। कागज पर कंपनी बनाकर सुनियोजित तरीके से 10 करोड़ रुपये का घोटाला करने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ईडी कई ट्रक मालिकों पर भी शिकंजा कसेगी। ईडी सूत्रों का दावा है कि वाणिज्य कर विभाग की जांच में पता चला था कि गोल्फ इंटरप्राइजेज को कई अलग-अलग ट्रकों से माल की आपूर्ति की गई थी। जब उन ट्रकों की जांच हुई तो कुछ के नंबर फर्जी पाए गए, जबकि के नंबर गलत थे।

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14 के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना और कर चोरी का दर्ज है केस

यह भी सामने आया था कि कई ट्रकों के जरिए दूसरी कंपनी का माल भिजवाया गया था, लेकिन उनके नंबर गोल्फ के सामान के लिए दर्ज किया गया था। ऐसी दशा में अब उन ट्रक मालिकों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। गोरखपुर के खोराबार थाने में वाणिज्य कर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर विनय कुमार पांडेय ने 20 नवंबर 2018 को गोल्फ इंटरप्राइजेज के स्वामी अरुण सक्सेना समेत 14 के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना और कर चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था।

बताए गए पते पर कारोबार नहीं होता था

आरोप था कि अरुण सक्सेना ने पान मसाला, जर्दा के पैकेजिंग मैटेरियल के व्यापार के लिए 27 मार्च 2018 को जीएसटी में पंजीयन करवाया। उसमें कारोबार करने का स्थान गोरखपुर के सहजनवा मोहल्ले में रहने वाली सरोज देवी के मकान का रेंट एग्रीमेंट दिखाया गया। 28 सितंबर 2018 को वाणिज्य कर की एक टीम ने जांच की तो पता चला कि बताए गए पते पर ऐसा कोई कारोबार नहीं होता है। सरोज देवी ने सूरज राजपूत को किराए पर कमरा दिया था, जहां उसने गोल्फ इंटरप्राइजेज का बोर्ड लगाया था।

ईडी मामले में केस दर्ज कर जांच कर रही है

छानबीन आगे बढ़ी तो पता चला कि कंपनी केवल कागज पर ही चल रही थी। अरुण सक्सेना ने जीएसटी पंजीयन के बाद 90 करोड़ की खरीद व 24 करोड़ की बिक्री दिखाई थी। फिर उसने 10 करोड़ रुपये जीएसटी से रिफंड ले लिया था, जो कर चोरी के दायरे में आता है। इस तरह कंपनी और उससे जुड़े लोगों को 10 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोपित बनाया गया। ईडी अब इस मामले में केस दर्ज कर जांच कर रही है। 


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