मृदा से गायब हुआ जीवांश कार्बन और घट रहा उत्पादन
कृषि विभाग के कर्मचारी किसानों को घर-घर जाकर मिट्टी की जांच के लिए प्रेरित कर रहे हैं। साथी किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती के फायदे बता रहे हैं।
By Edited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 07:44 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:20 PM (IST)
प्रयागराज : कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से खेती के लिए किसानों को जागरूक कर मृदा के स्वास्थ्य का परीक्षण के लिए कृषि विभाग की ओर से विशेष जोर दिया जा रहा है। पड़ोसी जनपद कौशांबी में कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव पहुंचकर खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके बाद अधिकतर किसान परंपरागत तरीके के खेती कर रहे हैं और फसल उत्पादन में रसायन खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इससे भूमि में जीवांश कार्बन की भारी कमी हो गई।
अधिकतर किसान परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं
कृषि विभाग किसानों को भले ही नए तरीके से खेती करने का पाठ पढ़ा रहा है, लेकिन आज भी जिले के अधिकतर किसान परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं। फसल उत्पादन बढ़ाने के चक्कर में दशकों से जिले के किसान जमकर रसायन उर्वरक का प्रयोग कर रहे हैं। किए जा रहे रसायन खाद के प्रयोग की जिले की भूमि का स्वास्थ्य बिगड़ गया।
मृदा परीक्षण के लिए विशेष अभियान
पिछले माह में कृषि विभाग ने मृदा परीक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया था। इसमें 80 हजार किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच की गई थी। मृदा जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हुआ कि भूमि से जीवांश कार्बन गायब हो गया है। इससे पौधों को सही तरीके से विकास नहीं हो पाता। साथ ही कृषि उत्पादन भी रुक गया है।
रसायन उर्वरक प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है
कृषि उप निदेशक डॉ. उदयभान गौतम ने बताया कि रसायन उर्वरक प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। यदि इसे न रोका गया तो आने वाले समय में भूमि के सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाएंगे और फसल उत्पादन भी रुक जाएगा। भूमि के बिगड़े हुए स्वास्थ्य को सुधारने के लिए जनपद के सभी किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार ही फसल उत्पादन में खाद डालना होगा।
बोले कृषि उप निदेशक, भूमि का जीवांश कार्बन काफी कम हो गया है
कृषि उप निदेशक डॉ. उदयभान गौतम ने कहा कि जिले की भूमि का जीवांश कार्बन काफी कम हो गया है। इससे फसल उत्पादन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।भूमि में जीवांश कार्बन वापस आने के लिए किसानों को फसल उत्पादन में जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जैविक खाद बनाने के लिए गांव-गांव वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए किसानों को विभाग की ओर से छह हजार का अनुदान भी दिया जाएगा।
अधिकतर किसान परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं
कृषि विभाग किसानों को भले ही नए तरीके से खेती करने का पाठ पढ़ा रहा है, लेकिन आज भी जिले के अधिकतर किसान परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं। फसल उत्पादन बढ़ाने के चक्कर में दशकों से जिले के किसान जमकर रसायन उर्वरक का प्रयोग कर रहे हैं। किए जा रहे रसायन खाद के प्रयोग की जिले की भूमि का स्वास्थ्य बिगड़ गया।
मृदा परीक्षण के लिए विशेष अभियान
पिछले माह में कृषि विभाग ने मृदा परीक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया था। इसमें 80 हजार किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच की गई थी। मृदा जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हुआ कि भूमि से जीवांश कार्बन गायब हो गया है। इससे पौधों को सही तरीके से विकास नहीं हो पाता। साथ ही कृषि उत्पादन भी रुक गया है।
रसायन उर्वरक प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है
कृषि उप निदेशक डॉ. उदयभान गौतम ने बताया कि रसायन उर्वरक प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। यदि इसे न रोका गया तो आने वाले समय में भूमि के सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाएंगे और फसल उत्पादन भी रुक जाएगा। भूमि के बिगड़े हुए स्वास्थ्य को सुधारने के लिए जनपद के सभी किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार ही फसल उत्पादन में खाद डालना होगा।
बोले कृषि उप निदेशक, भूमि का जीवांश कार्बन काफी कम हो गया है
कृषि उप निदेशक डॉ. उदयभान गौतम ने कहा कि जिले की भूमि का जीवांश कार्बन काफी कम हो गया है। इससे फसल उत्पादन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।भूमि में जीवांश कार्बन वापस आने के लिए किसानों को फसल उत्पादन में जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जैविक खाद बनाने के लिए गांव-गांव वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए किसानों को विभाग की ओर से छह हजार का अनुदान भी दिया जाएगा।
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