कोविड डयूटी पर बच्चे से 14 दिन अलग रहीं मगर प्रयागराज की डॉ. निधि ने फर्ज से नहींं मोड़ा मुंह
डा. निधि सचान असिस्टेंट प्रोफेसर एमएलएन मेडिकल कालेज कहती हैं कि जब हम कोविड वार्ड में रहते हैं तो मरीज हमें परिवार के सदस्य की तरह लगते हैं। हर एक मरीज का ख्याल रखना कोरोना से उनकी जान बचाने में जितना भी कठिन चिकित्सा कार्य हो सकता है करते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना काल में अग्रिम मोर्चे पर सबसे ज्यादा हेल्थ वर्कर को ही जूझना पड़ रहा है। कोविड अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। मरीजों की देखभाल के लिए उन्हें अपने परिवार से दूरी बनानी पड़ रही है। इस मुश्किल हालात में भी डॉक्टर अपने दायित्व को पूरा करने में हिचक नहीं रहे हैं।
वार्ड में किसी की मृत्यु होने पर मन दुखी होता है
डा. निधि सचान असिस्टेंट प्रोफेसर, एमएलएन मेडिकल कालेज कहती हैं कि जब हम कोविड वार्ड में रहते हैं तो मरीज हमें परिवार के सदस्य की तरह लगते हैं। हर एक मरीज का ख्याल रखना, कोरोना से उनकी जान बचाने में जितना भी कठिन चिकित्सा कार्य हो सकता है करते हैं। कभी ऐसा भी वक्त आता है कि वार्ड में किसी की मृत्यु हो जाती है तो मन दुखी हो जाता है। और जब घर आते हैं तो परिवार से अलग एक कमरे में आइसोलेट हो जाते हैं। मैं तो अप्रैल माह में कोविड ड्यूटी के दौरान अपने तीन साल के बच्चे इशान से पूरे 14 दिन अलग रही। एक मां के तौर पर कहें तो यह बेहद कठिन है। एक ही घर में रहकर बच्चे से अलग रहने पर मन व्यथित हो उठता है। खाने की थाली घर वाले दूर ही रख जाते हैं। लेकिन कोविड से मानवता पर बड़ा संकट है। हम डाक्टरों को इस कुर्बानी के लिए तैयार रहना चाहिए। स्वजन का सपोर्ट रहता है। मेरे पति डा. आनंद सिंह और अन्य स्वजन ने हर कदम पर साथ दिया। अपने सीनियर से भी मार्ग दर्शन मिलता रहा। फिलहाल इस कोरोना संक्रमण काल में यह कहना चाहूंगी कि अस्पताल में संक्रमितों को स्वस्थ कर पाए तो यह एक डाक्टर के लिए पूजा सफल होने से कम नहीं है।