Festive Season: दुर्गा पूजा, रामलीला, दशहरा मेला से हर तरफ उल्लास, बच्चों और युवाओं संग बुजुर्गों में भी उत्साह
बच्चे-युवा हों या महिलाएं और बुजुर्ग। सभी फेस्टिव सीजन के मूड में हैं। हर तरफ उल्लास छाया है। लोग तनाव दुख विषाद से उबरकर अब आनंद में झूम रहे हैं। जन्माष्टमी उत्सव दाधिकांदो मेला से शुरू होकर अब नवरात्रि दुर्गा पूजा दशहरा पर त्योहारी सीजन पीक पर है।
प्रयागराज, जेएनएन। दो साल तक कोरोना संकट के तनाव में जूझते रहे लोग अबकी त्योहारी सीजन में उल्लास और उत्साह से भरे दिख रहे हैं। बच्चे और युवा हों या फिर महिलाएं और बुजुर्ग। सभी फेस्टिव सीजन के मूड में हैं। हर तरफ उल्लास छाया है। लोग तनाव, दुख, विषाद से उबरकर अब आनंद में झूम रहे हैं। जन्माष्टमी उत्सव, दाधिकांदो मेला से शुरू होकर अब नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा पर त्योहारी सीजन पीक पर है।
मंदिरों में पूजा-अर्चना और बाहर खानपान का लुत्फ
नवरात्रि शुरू होने के बाद से देवी मंदिरों पर पूजन-अर्चन को जुट रही महिलाओं के साथ आ रहे बच्चे मंदिरों के बाहर लगे मेले में चहकते दिखे। महिलाएं, बुजुर्ग और युवा भी मंदिरों और बाहर लगे मेले पर खानपान का लुत्फ उठाते दिखे। आज शुक्रवार से तो दुर्गा पूजा पंडालों में भी खासी भीड़ उमड़ने की उम्मीद की जा रही है। रामलीला देखने के लिए रोज रात पूरा का पूरा परिवार पहुंच रहा है, यानी बच्चे, महिलाएं सभी।
रामलीला में कुर्सी नहीं तो खड़े होकर देख रही लीला
इसे प्रभु श्रीराम के प्रति समर्पण कहें अथवा रामलीला का आकर्षण। सदियों पुरानी मंगलकारिणी, सुखदायिनी, मनोहारी रामलीला को देखने के लिए लोग खिंचे चले आ रहे हैं। मंचन स्थल पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक की भीड़ जुट रही है। कुर्सी न मिलने पर लोग घंटों खड़े होकर लीला देखते हैं। मोबाइल पर थियेटर व मोबाइल फिल्म देेखने वाले युवा भी रामलीला पूरे भाव से रामलीला देख रहे हैं।
बाई का बाग से छात्रा प्रियंका रामलीला में पूरी तरह खो गईं। श्रीराम वनगमन का दृश्य देखकर भावुक होकर कहती हैं कि ये अद्भुत है। ज्ञान, संस्कार व संस्कृति से भरी रामलीला का आकर्षण कभी खत्म नहीं होगा। कुछ ऐसा ही भाव छात्रा ममता का है। कहती हैं रामलीला की कथा हमें पता है। इसके बावजूद उसे बार-बार देखने का मन करता है। ऐसा लगता है कि हमेशा देखते ही रहो।
बच्चों को दिखाती हैं रामलीला ताकि सीखें जीवन का सार
बच्चों के साथ आयीं तिलकनगर निवासी बबिता कहती हैं कि रामलीला मनुष्य के जीवन का सार है। हमें जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं? उसकी सीख रामलीला से मिलती है। यही कारण है कि मैं अपने बच्चों को भी उसे दिखाती हूं। किदवई नगर निवासी रिंकी रामलीला देखकर भावविभोर हो उठीं। बताती हैं कि श्रीराम की लीला बार-बार देखने का मन करता है।