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यूपी बोर्ड की सख्ती का दिखा असर, पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार करीब दो लाख परीक्षार्थी घटे

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 के लिए परीक्षा फार्म भरवाने का कार्य पूरा हो चुका है। इसमें पिछले वर्ष की अपेक्षा करीब दो लाख परीक्षार्थी घटे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 11:43 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 11:43 AM (IST)
यूपी बोर्ड की सख्ती का दिखा असर, पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार करीब दो लाख परीक्षार्थी घटे
यूपी बोर्ड की सख्ती का दिखा असर, पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार करीब दो लाख परीक्षार्थी घटे

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 के लिए परीक्षा फार्म भरवाने का कार्य पूरा हो चुका है। इसमें पिछले वर्ष की अपेक्षा करीब दो लाख परीक्षार्थी घटे हैं, क्योंकि बोर्ड प्रशासन ने प्रवेश संख्या बढ़ाने की जगह सही छात्र-छात्राओं का ही दाखिला देने के कड़े निर्देश जारी किए थे। 

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यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा अगले साल होना प्रस्तावित है, उसका विस्तृत कार्यक्रम पहली जुलाई को ही जारी हो चुका है। बोर्ड पाठ्यक्रम आदि भी वेबसाइट पर जारी कर चुका है, कुल मिलाकर बोर्ड ने पहले परीक्षा तैयारियां की फिर प्रवेश पर ध्यान केंद्रित किया। 25 जुलाई को बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव की ओर से जारी आदेश में जिला विद्यालय निरीक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए, उसमें कहीं भी छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया, बल्कि यही कही जाता रहा कि उन्हीं को प्रवेश दिया जाए जिनके अभिलेख दुरुस्त हों। गलत प्रवेश देने पर प्रधानाचार्यों पर कार्रवाई होगी। इसके लिए पिछले वर्षों में परीक्षा के पहले 83 हजार परीक्षार्थियों को बाहर करने व प्रधानाचार्यों पर कार्रवाई का भी जिक्र किया गया।

यही नहीं, 2010 का वह शासनादेश इस वर्ष प्रभावी किया गया, जिसमें निर्देश था कि एक कालेज में 10वीं व 12वीं में अधिकतम 10 छात्र-छात्राओं को प्रवेश उसी सूरत में दिया जाएगा, जब उसकी डीआइओएस से अनुमति ली जाए। परीक्षा शुल्क बढ़ाने का भी असर दिखा। हर छात्र-छात्रा की अर्हता जांचने के लिए कहा गया, ताकि बाद में विषम स्थिति न पैदा हो। कहा गया कि बोर्ड की वेबसाइट पर 2003 से लेकर 2019 तक का परीक्षा परिणाम अपलोड है, जहां संशय हो उसकी खुद जांच कर लें।

दो वर्षों में जिन कालेजों में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है उनके यहां प्रवेश मान्य नहीं होंगे। ऐसे कालेजों की मान्यता खत्म करने का अल्टीमेटम भी दिया गया। कहा गया कि प्रवेश देते समय प्रधानाचार्य इसका ख्याल रखें कि उनके यहां पर शिक्षक व शिक्षण कक्ष आदि उसके अनुरूप हैं या नहीं। व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का अग्रसारण केंद्र सिर्फ राजकीय कालेजों को बनाया गया है, वहां से भी मनमाने प्रवेश पर अंकुश लगा।


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