दवाओं का कारोबार आधा, स्टॉक वापस नहीं होने से विक्रेता परेशान, कोरोना संक्रमण घटने से प्रयागराज में घटी बिक्री
कोरोना दवाओं खासकर फेबीफ्लू की मांग करीब 60 से 70 फीसद तक गिरी है। उधर मांग घटने से विक्रेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनके स्टॉक कहीं बर्बाद न हो जाए। इसलिए वह दवाएं वापस करने के लिए थोक विक्रेताओं से संपर्क साध रहे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। पिछले करीब एक महीने से कोरोना कर्फ्यू लागू होने के कारण कोरोना संक्रमण की रफ्तार पहले से काफी कम हो गई है। इसकी वजह से कोरोना और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाओं का कारोबार पहले से घटकर करीब आधा हो गया है। दवाएं एवं इंजेक्शन खराब न हो जाएं, इस डर से दवा के फुटकर विक्रेता स्टॉक वापस करने के लिए परेशान हैं। वह थोक कारोबारियों से दवाएं वापस लेने के लिए आग्रह भी कर रहे हैं लेकिन, थोक व्यापारी दवाएं लौटा नहीं रहे हैं। उनके सामने भी समस्या है, क्योंकि उनसे कंपनियां दवाएं वापस लेने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में विक्रेताओं का पैसा फंसने का भय है।
तेजी से बढ़े थे मरीज तो बढ़ गई थी दवाओं की बिक्री
अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर आने पर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में अचानक तेजी से वृद्धि हुई। इससे बाजार में दवाओं, इंजेक्शन और आक्सीजन सिङ्क्षलडर की घोर किल्लत हो गई। इन चीजों की व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने में प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए। थोक विक्रेताओं और स्टाकिस्टों ने दवाओं की भारी डिमांड कंपनियों से की। उनकी डिमांड के हिसाब से धीरे-धीरे कंपनियों ने दवाओं, इंजेक्शनों की आपूॢत कर दी। फुटकर विक्रेताओं ने भी माल स्टॉक कर लिए। लेकिन, कोरोना कफ्र्यू के लागू होते ही संक्रमण की रफ्तार कुंद पडऩे लगी। पहले की तुलना में मरीजों की संख्या भी बेहद कम हो गई, जिससे दवाओं और इंजेक्शन की बिक्री करीब 50-60 फीसद तक घट गई है। प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन फुटकर के संगठन मंत्री निखिल मलंग का कहना है कि कोरोना दवाओं खासकर फेबीफ्लू की मांग करीब 60 से 70 फीसद तक गिरी है। उधर, मांग घटने से विक्रेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनके स्टॉक कहीं बर्बाद न हो जाए। इसलिए वह दवाएं वापस करने के लिए थोक विक्रेताओं से संपर्क साध रहे हैं। लेकिन, वापसी की संभावना न के बराबर है। इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल दुबे का कहना है कि दवाओं की बिक्री 50 फीसद तक घट गई है।