Doctor Murali Manohar Joshi Birthday: तकनीक के वैश्विक मानचित्र पर संगमनगरी को डॉ. जोशी ने ही दिलाई पहचान
डॉ. जोशी ने प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) को बहुत सी सौगातें दी। उनका जन्मदिन कल यानी पांच जनवरी को है। ऐसे में उनकी चर्चा स्वाभाविक है। इनमें यमुना पर बना केबिल ब्रिज प्रमुख है। एमएलएनआर को एमएनएनआइटी के रूप में एनआइटी का दर्जा दिलाया।
प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। धर्म-अध्यात्म, शिक्षा व विधिवेत्ताओं के लिए ख्यात संगमनगरी को तकनीक के वैश्विक मानचित्र से जोडऩे का श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी को जाता है। उन्होंने 1991 में झूंसी में भू-चुम्बकत्व केंद्र की आधारशिला रखवाई। फिर वर्ष 1999 में ट्रिपलआइटी की स्थापना करा शहर को बड़े फलक पर स्थापित कराया। तमाम लोगों के लिए यह जानकारी नई हो सकती है कि ट्रिपलआइटी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संसदीय क्षेत्र लखनऊ के लिए स्वीकृत हुआ था, लेकिन डा. जोशी ने आग्रह किया तो वाजपेयी ने इसे प्रयागराज स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी।
यमुना पर बना केबिल ब्रिज डॉ. जोशी की सौगात है
डॉ. जोशी ने प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) को बहुत सी सौगातें दी। उनका जन्मदिन कल यानी पांच जनवरी को है। ऐसे में उनकी चर्चा स्वाभाविक है। इनमें यमुना पर बना केबिल ब्रिज प्रमुख है। एमएलएनआर को एमएनएनआइटी के रूप में एनआइटी का दर्जा दिलाया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित कराया। उनकी ही देन थी कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को दोबारा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। शुआट्स को भी डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में मान्यता दिलाई। साइंस सिटी व ऊर्जा पार्क भी स्वीकृत कराया था, लेकिन उनके चुनाव हारने के बाद दोनों प्रोजेक्ट हैदराबाद चले गए। पूर्व भाजपा महानगर अध्यक्ष सुनील जैन बताते हैं कि कोहडार घाट, बिरवल (घूरपुर) पाल पट्टी खौरिया में पुल और चौफटका का फ्लाईओवर उन्हीं के प्रयास से बना। भारती भवन पुस्तकालय का कायाकल्प, चौक में शहीद स्थल का निर्माण कराया।
डॉ. जोशी 1951 में आ गए थे प्रयागराज
पांच जनवरी 1934 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे डॉक्टर जोशी मेरठ से स्नातक की उपाधि मिलने के बाद वर्ष 1951 में प्रयागराज आए थे। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) के संपर्क में आने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और समाजसेवा और राजनीति में सक्रिय हो गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एमएससी और शोध कर यहीं 1960 में शिक्षक नियुक्त हुए। वर्ष 1977 में पहली बार अल्मोड़ा से सांसद बने। वर्ष 1982 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। फिर 1996, 1998, 1999 में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से निवार्चित हुए। हालांकि वर्ष 2004 में यहीं से पराजय मिली। वर्ष 2009 में वाराणसी और 2014 में कानपुर से सांसद बने।
टैगोर टाउन में था बंगला 'अंगीरस'
डॉ. जोशी टैगोर टाउन में जिस बंगले में रहते थे वह पहले सरकारी आवास था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. के बनर्जी उसमें रहते थे। 1994 में प्रो. बनर्जी कोलकाता गए तो बंगला डॉ. जोशी को अलाट हो गया। बाद में इसे खरीद लिया और नए सिरे से उसका निर्माण कराकर उसका नाम 'अंगीरसÓ रखा। इसे कुछ समय पहले उन्होंने बेच दिया। फिलहाल वह दिल्ली में ही रह रहे हैैं।
रामचंद्र परमहंसदास से आत्मीयता
राम मंदिर आंदोलन के पुरोधाओं में एक रामचंद्र परमहंस दास से भी डा. जोशी की आत्मीयता रही है। वर्ष 2001 में संगम की रेती पर हुए कुंभ में आए परमहंस दास से मिलने के लिए मुरली मनोहर जोशी मेला क्षेत्र में गए थे। परमहंस ने गले लगाकर उनका स्वागत किया था।