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जज्बे से दिव्यानी का बढ़ा कद तो लोग उन पर करने लगे नाज

दिव्‍यानी की लंबाई कम होने से उन पर व्यंग्य करने वाले लोग आज उनकी कामयाबी के कद का सम्‍मान करने लगे हैं। चित्रकारी के अपने हुनर को वह गरीब बच्‍चों में बांट रही हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:00 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 01:00 PM (IST)
जज्बे से दिव्यानी का बढ़ा कद तो लोग उन पर करने लगे नाज
जज्बे से दिव्यानी का बढ़ा कद तो लोग उन पर करने लगे नाज

प्रयागराज : शारीरिक दिव्यांगता के चलते दिव्यानी महज दो फुट का ही कद प्रकृति से पा सकीं। हालांकि जज्बे और सोच से अपना कद इतना बढ़ाया कि लोग उनपर नाज करें। चित्रकारी के अपने हुनर को उन्होंने ऐसे बच्चों के बीच बांटना शुरू किया, जो पैसों की तंगी से इस कला से वंचित थे। उनकी यह कक्षा मलिन बस्ती में चलती है। दिव्यानी जब ऐसे मोहल्लों में पहुंचती हैं तो ऊंचे कद के लोग भी उनके सम्मान में सिर झुका देते हैं।

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 झूंसी की रहने वाली दिव्यानी का कद महज दो फिट है। वह तीन भाई बहनों में मम्मी-पापा की दुलारी रही हैं। पिता रमेश चंद्र राय प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लंबाई कम होने के कारण साथ पढऩे वाले बच्चे भी दिव्यानी का मजाक उड़ाते थे। कोई प्रतिक्रिया देने के बजाय वह सिर्फ रोती थीं। उसी समय दिव्यानी ने ठान लिया कि वह समाज में कुछ ऐसा करेंगी जो मिसाल बने। इसके लिए उन्होंने चित्रकारी की दुनिया में कदम रखा।

 मास्टर ऑफ फाइन आर्ट करने करने के बाद पेंटिंग व चित्रकारी करने लगीं। जब उनके पेटिंग की तारीफ होने लगी तो हौसला भी बढ़ता गया। अपनी इस कला को उन्होंने ऐसे बच्चों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया जो इस कला से दूर हैं। अब वह बस्तियों में जाकर गरीब बच्चों के लिए फ्री क्लॉस चलाती हैं और बच्चों को पेंटिंग की कला से जोड़ रही हैं। जब वह बस्तियों में जाती हैं तो लोग उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं।

खुद के लिए नहीं, जीना है दूसरों के लिए :

दिव्यानी कहती हैं, वह खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना चाहती हैं। खासकर ऐसे अनाथ बच्चों के लिए जो अनाथालय में हैं। मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते हैं, बस मैं अपना काम इसी तरह करती रहूंगी।


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